उनकी अोर से अब कोई आपत्ति नहीं है. बिहार सरकार का कहना है कि बराज से उसे एक साल में पांच मिलियन एकड़ फीट पानी चाहिए. यदि कोई विवाद होगा, तो वह उसे वंशागर एग्रीमेंट के तहत सुलझायेगा. नहीं सुलझने पर वंशागर बोर्ड के पास विवाद को उठाया जा सकता है.
बराज निर्माण से छत्तीसगढ़ के कई गांव डूबेंगे. छत्तीसगढ़ ने 917 करोड़ रुपया मांगा है. झारखंड सरकार ने राशि देने पर सहमति दी है. बराज के डूब क्षेत्र में फॉरेस्ट लैंड व आदिवासियों की जमीन भी आ रही है. झारखंड सरकार को बराज निर्माण के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस, आदिवासी जमीन से संबंधित आपत्तियों को दूर करना है. राज्य सरकार को कई बार बताया गया है, लेकिन आपत्ति दूर नहीं की गयी है. आपत्ति दूर होने के बाद डीपीआर को नीति आयोग के पास भेजा जायेगा. आयोग के पास पहले से ही दर्जनों योजनाएं लंबित है.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व मंत्री हेमेंद्र प्रताप देहाती ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने पलामू प्रमंडल के गढ़वा में कनहर नदी पर बराज निर्माण कराने की मांग की है. कनहर पर बराज बनाने का मामला वर्ष 1974 से लंबित है. राज्य सरकार ने बराज निर्माण से संबंधित लगभग 1000 पन्ने का डीपीआर बना कर जल आयोग को भेजा है. हाइकोर्ट भी अब तक लगभग 50 बार आदेश पारित कर चुका है.