इससे भी पहले वर्ष 2007 में मेसो कार्यालय व जिला कल्याण कार्यालय के खातों में करीब 11.57 करोड़ रुपये मिले थे, जो सूद के पैसे थे. कुल 14 मेसो कार्यालय से 9.51 करोड़ तथा 13 जिला कल्याण कार्यालय से सूद के 2.06 करोड़ रुपये सरेंडर कराये गये थे. अब अधिकारियों ने तय किया है कि यदि फिर से विकास योजनाअों की राशि बेकार पड़े रहने की सूचना मिली, तो जिला पदाधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी.
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लोगों के कल्याण के लिए मिले 540 करोड़ पड़े रह गये
रांची: कल्याण विभाग को अपने जिला कल्याण पदाधिकारियों के पास से करीब 540 करोड़ रुपये मिले हैं. सूद की रकम भी इसमें शामिल है. यह राशि विभिन्न विकास योजनाअों के लिए थी, जो अधिकतम छह वर्षों से अलग-अलग खातों में पड़ी हुई थी. वरीय अधिकारियों ने सभी जिला कल्याण पदाधिकारियों से जब हिसाब लेना शुरू […]
रांची: कल्याण विभाग को अपने जिला कल्याण पदाधिकारियों के पास से करीब 540 करोड़ रुपये मिले हैं. सूद की रकम भी इसमें शामिल है. यह राशि विभिन्न विकास योजनाअों के लिए थी, जो अधिकतम छह वर्षों से अलग-अलग खातों में पड़ी हुई थी. वरीय अधिकारियों ने सभी जिला कल्याण पदाधिकारियों से जब हिसाब लेना शुरू किया, तो पता चला कि जिलों में 10 से 28 बैंक खाते खोल कर पैसे रखे गये हैं. अब सभी जिला कल्याण पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे अतिरिक्त खाते बंद करवा कर इसमें रखी राशि सरेंडर करे. रांची जिले में भी 14 खाते चल रहे थे. इनमें से 11 खाते बंद कर करीब दो करोड़ रुपये सरेंडर किये गये हैं.
जनजातीय क्षेत्रों को मिली केंद्रीय अनुदान की राशि का अनुपयोगी पड़ा रहना चिंताजनक है. इससे पहले महालेखाकार ने भी कल्याण विभाग की विकास रकम पीएल खातों में रखने या डायवर्ट करने पर अापत्ति जतायी थी. वित्तीय वर्ष 2014-15 में 112 करोड़ रु पीएल खाते में जमा मिले थे. जबकि राज्य योजना मद की राशि किसी भी सूरत में पीएल खाते या सिविल डिपोजिट में नहीं रखी जानी है. महालेखाकार की आपत्तियों पर तब विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया था. दरअसल जिलों में रखे पैसे छात्रवृत्ति, साइकिल वितरण योजना व व्यावसायिक प्रशिक्षण के हैं.
इससे भी पहले वर्ष 2007 में मेसो कार्यालय व जिला कल्याण कार्यालय के खातों में करीब 11.57 करोड़ रुपये मिले थे, जो सूद के पैसे थे. कुल 14 मेसो कार्यालय से 9.51 करोड़ तथा 13 जिला कल्याण कार्यालय से सूद के 2.06 करोड़ रुपये सरेंडर कराये गये थे. अब अधिकारियों ने तय किया है कि यदि फिर से विकास योजनाअों की राशि बेकार पड़े रहने की सूचना मिली, तो जिला पदाधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी.
विकास प्रभावित
विकास योजनाअों के पैसे बेकार पड़े रहना चिंताजनक बात है. एक वरीय अधिकारी के अनुसार सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है केंद्रीय अनुदान आर्टिकल 275 (1) की राशि का बेकार पड़े रहना. यह राशि जनजातीय क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के विकास जैसे एकलव्य व मॉडल स्कूलों के जीर्णोद्धार, आवासीय विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षा निर्माण, जनजातीय लोगों की अाजीविका सुधार कार्यक्रम, लघु सिंचाई योजना व सामुदायिक भवन निर्माण जैसे कार्यों पर खर्च की जा सकती है. पर, जिला कल्याण पदाधिकारियों की लापरवाही से पैसे बेकार पड़े रहते हैं.
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