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महाधिवक्ता की कानूनी राय अब सूचना अधिकार से नहीं मिलेगी
रांची : राज्य सरकार ने महाधिवक्ता की ओर से दी जानेवाली कानूनी राय संबंधी जानकारी सूचना अधिकार के तहत किसी को भी देने पर पाबंदी लगा दी है. ऐसा महाधिवक्ता की ओर से भेजे गये पत्र के बाद किया है. महाधिवक्ता विनोद पोद्दार ने सरकार को भेजे पत्र में अनुरोध किया था कि उनकी ओर […]
रांची : राज्य सरकार ने महाधिवक्ता की ओर से दी जानेवाली कानूनी राय संबंधी जानकारी सूचना अधिकार के तहत किसी को भी देने पर पाबंदी लगा दी है. ऐसा महाधिवक्ता की ओर से भेजे गये पत्र के बाद किया है.
महाधिवक्ता विनोद पोद्दार ने सरकार को भेजे पत्र में अनुरोध किया था कि उनकी ओर से सरकार को दी जानेवाली कानूनी राय गोपनीयता के दायरे में आती है, इस कारण सूचना अधिकार के तहत इसे किसी को नहीं दी जाये.
क्या है महाधिवक्ता के पत्र में : महाधिवक्ता ने पत्र में कहा है कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि उनकी ओर से सरकार को दी गयी कानूनी राय की प्रति पक्ष या विपक्ष न्यायालय की कार्यवाही के दौरान पेश कर देता है. जांच के दौरान उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि संबंधित पक्ष को इसकी प्रति सूचना अधिकार कानून के तहत प्राप्त होती है.
महाधिवक्ता की ओर से दी जानेवाली कानूनी राय ‘लीगल एडवाइस प्रिविलेज’ के दायरे में आता है. इस प्रिविलेज्ड डॉक्यूमेंट के तथ्यों की जानकारी दूसरे पक्ष को देने की आवश्यक्ता नहीं है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि उनकी ओर से दी गयी राय की प्रति एक वकील और मुवक्किल(क्लाइंट) के बीच हुए गोपनीय संवाद है.
इसमें रणनीतिक सलाह के साथ-साथ मुवक्किल का कानूनी अधिकार और दायित्व भी शामिल रहता है.इसलिए सरकार सूचना अधिकार अधिनियम के तहत उनकी ओर से दी जानेवाली कानूनी राय की जानकारी किसी को नहीं देने से संबंधित आवश्यक दिशा निर्देश जारी करे. महाधिवक्ता के इस पत्र के बाद सरकार ने सभी विभागीय अधिकारियों को पत्र में वर्णित तथ्यों के आलोक में काम करने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद से उच्चाधिकारियों के बीच इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि सरकार महाधिवक्ता का नियोक्ता है या मुवक्किल?
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