21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आदिवासियों का अहित न हो, यह ध्यान रखे सरकार

रांची : सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक पर गुरुवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा के जनप्रतिनिधियों और एसटी मोरचा के प्रतिनिधियों से राय ली गयी. इस पर कई लोगों ने जमीन की प्रकृति बदले जाने पर कड़ा एतराज जताया, वहीं कुछ लोग संशोधन के पक्ष में भी दिखे. प्रतिनिधियों का कहना था कंपनसेशन बंद जमीन वापस […]

रांची : सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक पर गुरुवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा के जनप्रतिनिधियों और एसटी मोरचा के प्रतिनिधियों से राय ली गयी. इस पर कई लोगों ने जमीन की प्रकृति बदले जाने पर कड़ा एतराज जताया, वहीं कुछ लोग संशोधन के पक्ष में भी दिखे. प्रतिनिधियों का कहना था कंपनसेशन बंद जमीन वापस दिलवाने संबंधी संशोधन तो जरूर पारित होना चाहिए, पर जमीन की प्रकृति बदलने से आदिवासी समुदाय में नाराजगी बढ़ेगी. यह बात भी कही गयी कि सरकार हड़बड़ी में कोई निर्णय न ले. जब किसी चीज का बड़ा बदलाव किया जाना है और जिसके लिए किया जाना है, पहले उन्हें तो तैयार किया जाये कि वे इस बदलाव के लिए तैयार हैं या नहीं.
आदिवासी समाज नाराज न हो : पाहन : रामकुमार पाहन ने बैठक में लिखित राय भी दी. उन्होंने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन होना चाहिए. पर ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, जिससे आदिवासी हितों पर प्रभाव पड़े. राज्यपाल ने जिन आपत्तियों को रखा है, पहले उसे दूर करने के उपाय किये जाने चाहिए. कृषि भूमि की प्रकृति बदलने के प्रस्ताव पर आदिवासी समाज नाराज है. सरकार ऐसा कोई कदम न उठाये, जिससे आदिवासी समाज नाराज हो.

श्री पाहन ने बैठक में स्पष्ट रूप से इस प्रस्ताव को खारिज करने की बात रखी. उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यों के लिए आदिवासी व रैयतों की जमीन लेने की बात को और स्पष्ट किये जाने की जरूरत है. इसमें यह स्पष्ट हो कि अधिगृहित भूमि पर फलां कार्य मसलन स्कूल, अस्पताल, सड़क आदि निर्माण किया जायेगा, दूसरे कार्यों के लिए नहीं. श्री पाहन ने कहा कि 71 (ए) की उपधारा दो को समाप्त करने का प्रावधान ठीक है. इससे कंपनसेशन सिस्टम बंद हो जायेगा.

स्पीकर और सुदेश महतो से भी लिया जायेगा सुझाव : गिलुवा : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि इस मामले में पार्टी के गैर आदिवासी सांसद, विधायक, प्रदेश पदाधिकारी के साथ-साथ स्पीकर और सहयोगी दल आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो से भी सुझाव लिया जायेगा. सीएम की ओर से उन्हें एक सप्ताह पहले राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाये जाने की जानकारी दी गयी थी. टीएसी, कैबिनेट व विधानसभा में इसे लाये जाने की प्रक्रिया पहले पूरी की जायेगी. इसके बाद संशोधन विधेयक को दोबारा राज्यपाल के पास भेजा जायेगा. राज्यपाल ने जो आपत्तियां दी हैं, उस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. पार्टी भी इस मुद्दे पर सबकी राय ले रही है. सर्वसम्मति से ही संशोधन विधेयक को दोबारा भेजा जायेगा.
आदिवासी हितों की अनदेखी न हो : गंगोत्री : विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि किसी भी सूरत में आदिवासी हित की अनदेखी न की जाये. कोई ऐसा प्रावधान न हो, जिससे आदिवासियों पर दूरगामी प्रभाव पड़े. उन्होंने कहा कि संशोधन हो, पर आदिवासियों के लाभ के लिए हो, न कि नुकसान के लिए. उन्होंने कहा कि संशोधन प्रस्ताव भेजने के पहले सबको विश्वास में लिया जाये.
अन्य रैयतों से भी जुड़ा मामला है : शिवशंकर : विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक सिर्फ आदिवासियों से जुड़ा मामला नहीं है. इससे सभी रैयत जुड़े हुए हैं. ऐसे में इनकी भी राय ली जानी चाहिए. चूंकि कई जातियां हैं, जो इसके दायरे में आती हैं और उनकी जमीन को इस एक्ट से प्रोटेक्टेड किया गया है. इसलिए उनकी राय भी महत्वपूर्ण होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें