इंटर की पढ़ाई को अंगीभूत डिग्री कॉलेज से अलग करना होगा. राज्य में यूजीसी के निर्देश के बाद भी डिग्री कॉलेज से इंटर की पढ़ाई अलग नहीं हुई. राज्य में विश्वविद्यालय स्तर पर वर्ष में 180 दिन पढ़ाई का प्रावधान है. जबकि प्लस टू स्तर पर पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए वर्ष में कम से कम 220 दिन की पढ़ाई अनिवार्य है. ऐसे में अंगीभूत डिग्री कॉलेजों में इंटर का पाठ्यक्रम पूरा नहीं होता है. इसका असर रिजल्ट पर पड़ रहा है.
राज्य में इंटर साइंस में प्रति वर्ष लगभग 50 फीसदी बच्चे फेल हो जाते हैं. राज्य में शिक्षकों की कमी है. हाइस्कूल व प्लस टू उच्च विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण रिजल्ट में अाशा के अनुरूप सुधार नहीं हो रही है. राज्य सरकार इस वर्ष भी 280 प्लस टू उच्च विद्यालय में पठन-पाठन शुरू करने निर्देश दिया है. पर इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी. ऐसे में जब तक बिना आवश्यकता अनुरूप शिक्षकों नियुक्ति किये बिना विद्यालयों में पठन-पाठन शुरू करने से रिजल्ट में सुधार नहीं होगा. कक्षा एक से आठ तक में बच्चों को फेल नहीं करने की नीति के कारण भी बच्चों का आधार कमजोर हो रहा है. बच्चे सीधे कक्षा नौ में पहुंच जाते हैं. एक वर्ष बाद मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होते हैं.
इस कारण भी रिजल्ट प्रभावित हो रहा है. रिजल्ट में सुधार के लिए सरकार पहले मापदंड के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति करें. शिक्षकों को सभी गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त किया जाय. रिजल्ट में सुधार के लिए पूरे सिस्टम में बदलाव की आवश्यकता है.