सरकार ने पकरी बरवाडीह कोल परियोजना के लिए कुल 1,2,011 एकड़ जमीन हस्तांतरित की गयी है. इसमें से 1,128 एकड़ जमीन जंगल झाड़ के रूप में दर्ज है. खतियान में जंगल झाड़ के रूप में दर्ज यह जमीन परकी बरवाडीह, चट्टी बरियातू और केरेडारी क्षेत्र में है. इस जमीन पर माइनिंग के लिए ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति से सहमति ली गयी है.
समिति द्वारा तैयार सहमति पत्र पर अधिकतम पांच से छह सदस्यों की ही हस्ताक्षर है. सभी सदस्यों के हस्ताक्षर एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं. किसी भी सहमति पत्र में इस बात की उल्लेख नहीं किया गया है कि यह किस गांव के वन प्रबंध एवं संरक्षण समिति की बैठक है, जबकि नियमानुसार सहमति पत्र में इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि समिति किस गांव की है. सहमति पत्र में यह लिखा गया है कि पकरी बरवाडीह कोल प्रोजेक्ट कोयले के खनन करना चाहता है. जिसमें गांव वालों की पूर्ण सहमति है. समिति सरकार से यह मांग करती है कि इसमें वन का जो नुकसान होगा, उसे एनटीपीसी अलग से क्षतिपूरक वन लगा कर पूरा करेगा.
चंद्रिका प्रसाद की अध्यक्षता में हुई वन प्रबंध समिति की बैठक में तैयार सहमति पत्र पर सदस्य के रूप में ललन साव, वकील राणा, बोधन साव, सरस्वती देवी और ब्रजेश कुमार सिंह के हस्ताक्षर हैं, जो करीब-करीब एक दूसरे से मिलते जुलते हैं. इसी तरह सोमनाथ महतो की अध्यक्षता में हुई प्रबंध समिति की बैठक में तैयार सहमति पत्र पर तुलसी राणा, करमी देवी और तुलसी महतो का हस्ताक्षर है. नियमानुसार प्रबंध समिति में सदस्यों की संख्या कम-से-कम 17 होना जरूरी है. साथ ही किसी मामले में फैसला करने के लिए सहमति पत्र पर समिति के 75 प्रतिशत सदस्यों का हस्ताक्षर होना जरूरी है.