पहला भाग उद्गम स्थल चूल्हापानी से तेनुघाट, दूसरा तेनुघाट से बोकारो और तीसरा तेलमच्चो पुल के निकट से धनबाद तक होगा. नमूना संग्रह मध्य अक्तूबर से नवंबर माह तक चलेगा. इसकी जांच सिंफर और एनएबीएल की प्रयोगशाला में करायी जायेगी.
इससे पूर्व रांची विवि, विनोबा भावे विवि के शोधकर्ता छात्रों की टीम बनाकर नमूना संग्रह का प्रशिक्षण दिलाया जायेगा. सिंफर ने बैठक में आश्वासन दिया कि इसमें दो वैज्ञानिकों को विशेष रूप से लगाया जायेगा. बेनेथिक फोना की जांच के लिए भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की मदद ली जायेगी. बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव सुखदेव सिंह, नालंदा खुला विवि के कुलपति पद्मश्री आरके सिन्हा, विनोबा भावे विवि के कुलपति रमेश शरण, सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह, रांची विवि के उदय कुमार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एके पांडेय, युगांतर भारती के आशीष शीतल, रांची विवि के ज्योति प्रकाश, केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान के डॉ केके सिंह, आरके तिवारी, बीआइटी सिंदरी के डॉ पीके सिंह, युगांतर भारती की मधु, बीआइटी सिंदरी की अमित गुप्ता, अंशुल शरण, निरंजन कुमार, मुकेश कुमार व अमित झा मौजूद थे.