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अनाथों का ध्यान रखना

डॉ शाहनवाज कुरैशी इसलाम ने समाज के वंचितों और अनाथों पर विशेष रूप से ध्यान देने का निर्देश दिया है. अनाथों के बारे में अनेक हदीसें मौजूद हैं, जिसमें पैगंबर मुहम्मद (स) ने अनाथों की देखभाल करनेवाले को स्वर्ग में अपने करीब रहने की खुशखबरी दी. रसूले अकरम (स) ने फरमाया-मैं और यतीम की देखभाल […]

डॉ शाहनवाज कुरैशी
इसलाम ने समाज के वंचितों और अनाथों पर विशेष रूप से ध्यान देने का निर्देश दिया है. अनाथों के बारे में अनेक हदीसें मौजूद हैं, जिसमें पैगंबर मुहम्मद (स) ने अनाथों की देखभाल करनेवाले को स्वर्ग में अपने करीब रहने की खुशखबरी दी. रसूले अकरम (स) ने फरमाया-मैं और यतीम की देखभाल करनेवाला और दूसरे मुहताजों की देखभाल करनेवाला हम दोनों जन्नत में इस तरह होंगे.
यह कह कर आपने बीच की उंगली और शहादत की उंगली से इशारा किया और उन दोनों उंगलियों के बीच थोड़ा सा फासला किया. (बुखारी, सहल बिन सअद) एक अन्य अवसर पर रसूल (स) ने फरमाया-मुसलमानों के घरों में सब से बेहतर घर वह है, जिसमें कोई अनाथ हो और उसके साथ व्यवहार किया जाता हो और मुसलमानों का सबसे बुरा घर वह है, जिसमें कोई अनाथ हो और उसके साथ बुरा व्यवहार किया जाता हो. (इब्ने माजा, अबू हुरैरा).
इसलाम ने समाज के दबे-कुचले लोगों को आत्मसम्मान दिया. उन्हें हौसला प्रदान किया और अनाथों, वंचितों , निर्धनों को संरक्षण दिया. नबी करीम (स) के पास एक व्यक्ति आया. उसने अपने दिल की बेरहमी और सख्ती का वर्णन किया. आप (स) ने फरमाया-अनाथों के सिर पर स्नेह से हाथ फेरो और निर्धनों को खाना खिला. (मिश्कात, अबू हुरैरा) अल्लाह पाक ने अनाथों के माल का संरक्षक बनकर फिजूलखर्ची करने से मना किया है.
फरमाया गया-और यतीमों का माल न खाओ फिजूलखर्ची के साथ और जल्दी करते हुए उनके बड़े होने के डर से और जो मालदार हो तो उसको चाहिए कि अनाथ का माल खाने से बहुत बचे और जो गरीब हो तो उसको अनाथ के माल में से जरूरत के तहत खाना चाहिए. इस प्रकार अनेक निर्देशों के अनुसार इसलाम ने अनाथों को समाज में सुरक्षित स्थान प्रदान किया.

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