संवेदनशील और सक्षम अधिकारियों से जांच करा उचित कदम उठाने की बात करते हुए श्री पोद्दार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मर्यादित हल निकालने का आग्रह किया था. अपने पत्र में श्री पोद्दार ने एसडीओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार कर सकती है. लेकिन, अफसरशाही और जन भागीदारी ही उसे आयाम तक पहुंचा सकती है.
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मुख्य सचिव और सीएम के प्रधान सचिव को लिखा था पत्र, राज्यसभा सदस्य ने की थी एसडीओ भोर सिंह यादव के खिलाफ शिकायत
रांची: झारखंड के राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने राज्य सरकार से रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव की शिकायत की थी. सिविल सर्विसेज दिवस पर उन्होंने मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर रांची के एसडीओ के कार्यों की जानकारी देते हुए जांच की जरूरत बतायी थी. संवेदनशील और सक्षम अधिकारियों […]
रांची: झारखंड के राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने राज्य सरकार से रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव की शिकायत की थी. सिविल सर्विसेज दिवस पर उन्होंने मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर रांची के एसडीओ के कार्यों की जानकारी देते हुए जांच की जरूरत बतायी थी.
20 अप्रैल की घटना का किया था उल्लेख
श्री पोद्दार ने अखबार में छपी खबर का उदाहरण देते हुए कहा है कि 20 अप्रैल को वरिष्ठ नागरिकों समेत अन्य लोगों ने बताया कि वाहन जांच के नाम पर एसडीओ ने उनको रोका और अमानवीय व्यवहार किया. मोरहाबादी मैदान में मार्निंग वॉक करने वाले महिला-पुरुषों ने सूचित किया कि उनको अपराधी की तरह रोका गया. वाहनों से जबरदस्ती चाभियां निकाली गयीं. वरिष्ठ नागरिकों से अभद्र व्यवहार किया गया. वृद्धों और रोगियों को धूप में खड़ा किया गया. एसडीओ ने सरकारी काम में बाधा डालने के नाम पर बंद करने धमकी भी दी. श्री पोद्दार ने लिखा है कि इस कृत्य को प्रशासनिक आतंक की संज्ञा दी जा सकती है. सभी लोग शहर में अमन-चैन और सुचारु यातायात चाहते हैं, पर इसके नाम पर प्रशासन को बेवजह लोगों को प्रताड़ित और अपमानित करने का अधिकार कानून नहीं देता है.
आलू-प्याज के व्यापारियों को थाना बुलाना अवांछित कदम
राज्यसभा सांसद ने लिखा है कि कृषि बाजार प्रांगण में व्यवसायियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. कृषि उत्पाद के विपणन के नाम पर 30 दिनों में दुकानें खाली करने की धमकी और नोटिस दिया गया. आलू-प्याज के व्यापारियों को थाना बुलाया गया. यह अचानक उठाया गया अवांछित कदम है. लघु फैक्टरियों में पड़ने वाले छापों में पुलिस दल साथ थी. इन छापों की प्रशासनिक स्वीकृति या रिपोर्ट दर्ज की गयी है या नहीं, इस पर भी प्रश्नचिह्न लगा है. श्री पोद्दार ने लिखा है कि सुशासन के नाम पर आम जीवन त्रस्त रहेगा, तो लोग परेशान होंगे. उनमें असंतोष व्याप्त होगा. व्यापारी जल्दी किसी प्रशासनिक विवाद या पेच में नहीं पड़ना चाहता है.
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