रांचीः राज्य सरकार बच्चों को समय पर किताब देने में असफल रही है.करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद झारखंड शिक्षा परियोजना समय पर किताब नहीं दे पाती. राज्य में बच्चों को अप्रैल के बदले अगस्त-सितंबर में किताब मिलती है.
टेंडर फाइनल करने में ही आठ से नौ माह लग जाते हैं. टेंडर की शर्त में मामूली फेरबदल के लए कई बार टेंडर रद्द कर दिया जाता है. किताब प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू करने का कोई कैलेंडर निर्धारित नहीं है.
कभी सितंबर में तो कभी जनवरी में किताब आपूर्ति की प्रक्रिया शुरू होती है. समय पर किताब आपूर्ति नहीं करने के लिए गत दस वर्षो में शिक्षा विभाग द्वारा किसी पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई भी नहीं की गयी. झारखंड में वर्ष 2004-05 से बच्चों को नि:शुल्क किताब दी जा रही है. गत दस वर्षो में मात्र दो से तीन बार ही बच्चों को समय पर किताब मिली. वर्ष 2014-15 में भी समय पर टेडर फाइनल नहीं होने से बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिलेंगी.