रांची: कोल इंडिया में प्रस्तावित हड़ताल को लेकर छोटी-बड़ी सभी यूनियनों ने कमर कस ली है. आंदोलन को सफल बनाने की तैयारी की जा रही है. कोल इंडिया में हड़ताल की घोषणा 19 से 21 जून को की गयी है. आंदोलन को सफल बनाने के लिए विलासपुर में यूनियनों की सभा हुई थी. गुरुवार को सीसीएल मुख्यालय स्थित द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के कार्यालय में कई यूनियनों के पदाधिकारियों की मीटिंग रखी गयी है. इसमें ददई दुबे को भी बुलाया गया है.
बैठक में हड़ताल को सफल बनाने पर विचार किया जायेगा. आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी. 10 जून को सीएमपीडीआइ कम्युनिटी हॉल में यूनियनों का कन्वेंशन होगा. इसमें सीसीएल, सीएमपीडीआइ, इसीएल, बीसीसीएल और उत्तर पूर्वी राज्यों की कोयला कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
सीएमपीएफ के इपीएफ में विलय का हो रहा विरोध : कोयला मंत्रालय ने कोल माइंस प्रोविडेंट फंड का विलय इपीएफ में करने का निर्णय लिया है. इसके लिए एक कमेटी बनायी गयी है. कमेटी की रिपोर्ट के बाद इसके विलय पर विचार किया जायेगा. कोयला मजदूर यूनियन के प्रतिनिधि इसका विरोध कर रहे हैं.
इंटक भी शामिल हुआ आंदोलन में
कोयला मजूदरों के इस आंदोलन में इंटक भी शामिल हो गया है. दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में हुई बैठक में इंटक के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे. रांची की बैठक में इंटक के अनूप सिंह शामिल हुए. मालूम हो कि केंद्र सरकार ने इंटक के विवाद के कारण किसी भी तरह के फोरम में मेंबर बनाने का इनकार कर दिया है. इस कारण पहली बार जेबीसीसीआइ में इंटक का कोई भी सदस्य नहीं बैठ रहा है.
मजदूरों को बरगलाने की कोशिश
द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव सनत मुखर्जी ने कहा है कि यूनियनों को हड़ताल के मुद्दे पर गंभीरता से सोचना होगा. प्रबंधन की जाल में नहीं फसना चाहिए. प्रबंधन दिल्ली, कोलकाता, केरल, जयपुर में बुलाकर मजदूरों के हितों से समझौता कराना चाह रही है. फिलहाल इस मुद्दे पर बात करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पिछली कई बैठकों से मजदूरों के मुद्दे पर बात नहीं हुई है. प्रबंधन केवल टालमटोल कर रहा है.