22बीएचयू-11-रमेंद्र कुमार.भुरकुंडा. मोदी सरकार ने 20 अक्तूबर को कोयला खान राष्ट्रीयकरण विधेयक में संशोधन करने का निर्णय लिया है. सरकार विधेयक में संशोधन के जरिये कोयला खदान में निजी मालिक के प्रवेश का रास्ता खोल रही है. इस तरह से कोयला उद्योग को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का घिनौना प्रयास चल रहा है. यह बात एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कही. कहा कि निजी हाथों में कोयला उद्योग को सौंपने का परिणाम भयानक होगा. देश की संपत्ति को लुटाने के साथ-साथ कोयला उद्योग की बरबादी भी होगी. झरिया, रानीगंज कोयला क्षेत्र इसका उदाहरण है. जहां वर्षों से आग धधक रही है. यहां कोयले की बरबादी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि उद्योग का राष्ट्रीयकरण 40 वर्ष पूर्व मजदूरों के अथक संघर्ष के कारण हुआ था. पुन: पूंजीपतियों के हाथ में इसे सौंपना मजदूर विरोधी कदम है. इसे कोयला मजदूर बरदाश्त नहीं करेंगे. मोदी सरकार के इस निर्णय का हम विरोध करते हैं. सभी यूनियनों से एक मंच पर आकर सरकार के इस फैसले का विरोध करने का आह्वान करते हैं.
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पूंजीपतियों की गोद में नमो: रमेंद्र
22बीएचयू-11-रमेंद्र कुमार.भुरकुंडा. मोदी सरकार ने 20 अक्तूबर को कोयला खान राष्ट्रीयकरण विधेयक में संशोधन करने का निर्णय लिया है. सरकार विधेयक में संशोधन के जरिये कोयला खदान में निजी मालिक के प्रवेश का रास्ता खोल रही है. इस तरह से कोयला उद्योग को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का घिनौना प्रयास चल रहा है. यह […]
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