कोयला उत्पादन की गिरावट से अरगडा क्षेत्र में कोयले की चमक फीकी पड़ी

अरगडा क्षेत्र में दर्जनों भूमिगत खदानें थीं. इसमें कई भूमिगत खदानें वर्षों पहले बंद हो गयी थीं. सिरका व अरगडा भूमिगत खदान भी 31 जुलाई से बंद हो जायेगी. इस क्षेत्र में पहले 7000 से अधिक मजदूर थे, लेकिन अब लगभग 3000 मजदूर ही रह गये हैं. ऐसे में मजदूरों के सामने गंभीर स्थिति उत्पन्न […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 5, 2017 9:10 AM
अरगडा क्षेत्र में दर्जनों भूमिगत खदानें थीं. इसमें कई भूमिगत खदानें वर्षों पहले बंद हो गयी थीं. सिरका व अरगडा भूमिगत खदान भी 31 जुलाई से बंद हो जायेगी. इस क्षेत्र में पहले 7000 से अधिक मजदूर थे, लेकिन अब लगभग 3000 मजदूर ही रह गये हैं. ऐसे में मजदूरों के सामने गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गयी है. उनका जीविकोपार्जन बंद होने की स्थिति में है.
गिद्दी(हजारीबाग) : उत्पादन कार्य में गिरावट आने से अरगडा कोयला क्षेत्र इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है. यहां कोयले की चमक अब फीकी पड़ने लगी है. कर्मियों की संख्या भी लगातार कम हो रही है. जमीन सहित कई समस्याअों के कारण परेशानी बढ़ गयी है. क्षेत्र की दो भूमिगत खदानें इस माह बंद होनेवाली है.
गिद्दी वाशरी परियोजना बंद होने की स्थिति में है. क्षेत्र की सभी परियोजनाएं पुरानी हैं. रोजगार के अवसर घट रहे हैं. अरगडा कोयला क्षेत्र के अंतर्गत सिरका, गिद्दी, गिद्दी सी, गिद्दी वाशरी व रैलीगढ़ा परियोजनाएं हैं. अरगडा व सिरका परियोजना 1924 में, रैलीगढ़ा 1945 में, गिद्दी व गिद्दी सी परियोजना 1958-60 में आैर गिद्दी वाशरी परियोजना 70 के दशक में खुली थी.
अरगडा क्षेत्र के अंतर्गत दर्जनों भूमिगत खदानें थीं. अधिकांश भूमिगत खदानें वर्षों पहले बंद हो गयी थीं. अब सिरका व अरगडा भूमिगत खदान 31 जुलाई को बंद हो जायेगी. इस क्षेत्र में पहले सात हजार से अधिक मजदूर थे, लेकिन अब लगभग तीन हजार मजदूर रह गये हैं. प्रति माह कई मजदूर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इसका प्रतिकूल असर कोयला उत्पादन पर पड़ रहा है. परियोजनाएं पुरानी होने के कारण प्रबंधन को कोयला उत्पादन करने में अधिक खर्च उठाना पड़ रहा है. प्रबंधन के पास जो विकल्प है, उसमें उलझन है. सिरका व गिद्दी सी में जमीन की समस्या है.
गिद्दी की परियोजना को शुरू करने के लिए प्रबंधन को बड़ी योजना की जरूरत है. इसका प्रस्ताव सीसीएल प्रबंधन के पास भेजा गया है. रैलीगढ़ा में भी समस्या है. यहां प्रबंधन एमपीआइ के लोगों को हटाना चाहती है. एमपीआइ के लोग हटने के लिए तैयार नहीं है. रैलीगढ़ा में काली मंदिर की अोर आउटसोर्सिंग से कोयला उत्पादन करने की योजना प्रबंधन बना रहा है. सीसीएल प्रबंधन को प्रस्ताव भेजा गया है.
गिद्दी वाशरी परियोजना लगातार घाटे में चल रही है
गिद्दी वाशरी परियोजना वर्ष 1998 में ननकोकिंग कोल में तब्दील हुई थी. इसके बाद केवल दो वर्ष छोड़ कर लगातार घाटे में चल रही है. यहां पर सेवानिवृत्ति के कारण मजदूरों की संख्या लगातार घट रही है. इस माह गिद्दी वाशरी से 26 मजदूर सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
यहां पर उत्पादन लगातार घट रहा है. पिछले वर्ष अरगडा क्षेत्र कोयला उत्पादन से पिछड़ गया था और दो सौ करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था. इस वर्ष भी सीसीएल प्रबंधन ने जो उत्पादन लक्ष्य दिया है, उसके पूरे होने के असार कम दिख रहे हैं. क्षेत्रीय प्रबंधन का कहना है कि गिद्दी सी परियोजना में सीसीएल प्रबंधन वर्षों पहले गैरमजरूआ जमीन का अधिग्रहण किया है. उस जमीन को कुछ लोगों ने नौकरी हासिल करने के लिए बंदोबस्त कर लिया है. इस तरह की समस्या सिरका में भी है. इस इलाके में प्रबंधन अरगडा काजू बगान, रिकवा-चानो, हेसालौंग व असनागढ़ा में नयी माइंस खोलने की योजना बना ली है. कागजी प्रक्रिया शुरू हो गयी है. अरगडा काजू बगान में खुली खदान खोलने के लिए जिला प्रशासन को दो वर्ष पहले कागजात दिया गया है, लेकिन अभी तक एनओसी नहीं मिला है.
इन जगहों पर नयी खदान खोलने के लिए प्रबंधन को समय लगेगा. इस इलाके में सिरका, रैलीगढ़ा, गिद्दी सी, अरगडा में लोकल सेल चलता है. इसमें हजारों मजदूर जुड़े हुए हैं, लेकिन अब सेल की स्थिति पहले जैसी नहीं रह गयी है. अरगडा, सिरका, गिद्दी वाशरी में सेल की स्थिति खराब है. अरगडा खुली खदान अब बंद होने वाली है. रैलीगढ़ा में लोकल सेल कई माह से बंद है. गिद्दी सी में अपेक्षा के अनुरूप लोकल सेल की गाड़ियां नहीं लगती हैं. रोजगार घटने के कारण मजदूरों में उदासीनता है.

Next Article

Exit mobile version