Locust Alert: 76 साल बाद झारखंड के पलामू प्रमंडल में तबाही मचाने आ रही टिड्डियां, कृषि विभाग ने किया अलर्ट

Locust Alert: एक बार में 200 अंडे देने वाली टिड्डियां 76 साल बाद झारखंड के पलामू प्रमंडल में तबाही मचाने आ सकती हैं. झारखंड सरकार के कई विभागों ने मिलकर इस संकट से निबटने के लिए गाइडलाइन तैयार की है. कृषि विभाग ने कहा है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटे झारखंड के जिलों में टिड्डियों के हमले की आशंका है. इसलिए संबंधित विभागों और लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया है.

By Mithilesh Jha | June 3, 2020 2:21 PM

रांची : एक बार में 200 अंडे देने वाली टिड्डियां 76 साल बाद झारखंड के पलामू प्रमंडल में तबाही मचाने आ सकती हैं. झारखंड सरकार के कई विभागों ने मिलकर इस संकट से निबटने के लिए गाइडलाइन तैयार की है. कृषि विभाग ने कहा है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटे झारखंड के जिलों में टिड्डियों के हमले की आशंका है. इसलिए संबंधित विभागों और लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया है.

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कृषि विभाग ने जो गाइडलाइन तैयार की है, उसमें वन और अग्निशमन विभाग का भी सहयोग लिया गया है. सभी जिलों को अलर्ट रहने का संदेश भेजा जा रहा है. कृषि विभाग ने सभी जिलों के कृषि पदाधिकारियों को विशेष रूप से तैयार रहने के लिए कहा गया है. हालांकि, टिड्डियों के हमले तथा फसलों के नुकसान की ज्यादा आशंका पलामू प्रमंडल में है.

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टिड्डी दल आमतौर पर हरे खेत को नुकसान पहुंचाते हैं. हरे खेत में बैठने के बाद ये अपने वजन के बराबर फसल और पत्तियों को चट कर जाती हैं. एक बार खाने के बाद दोबारा 12 घंटे के बाद भोजन करती हैं. एक उड़ान में टिड्डी करीब 150 किमी तक की दूरी तय कर लेती है. ये हमेशा हवा के रुख के साथ उड़ती है.

अधिकारियों ने बताया कि प्रजनन के बाद मादा टिड्डी एक बार में 200 अंडे देती है. खाना खाने के बाद टिड्डियां खाली मैदान या सूखे पेड़ पर मधुमक्खी के छत्ते की शक्ल में बैठती हैं. जिस मैदान में टिड्डियां बैठती हैं, उसकी जुताई कर देने की सलाह दी गयी है, नहीं तो इसके लाखों बच्चे तैयार हो सकते हैं.

अग्निशमन विभाग को अलर्ट रहने का निर्देश

टिड्डी दल से कम से कम नुकसान हो, इसके लिए अग्निशमन विभाग को भी अलर्ट रहने को कहा गया है. जरूरत पड़ने पर अग्निशमन वाहनों से टिड्डियों पर केमिकल मिले जल का छिड़काव किया जायेगा. इसके अतिरिक्त ग्रामीणों को अलाव की व्यवस्था करने को भी कहा गया है. धुआं से टिड्डी दल भागते हैं. इसके अतिरिक्त टिड्डियों के आगमन का संकेत मिलने पर थाली, ड्रम और ढोल पीटने को कहा गया है. इनकी आवाज से भी टिड्डियां भाग जाती हैं.ॉ

76 साल बाद बनी है यह स्थिति

कृषि अधिकारियों ने बताया कि बिहार, बंगाल और झारखंड का जब बंटवारा नहीं हुआ था, उस वक्त इस इलाके में टिड्डी दल का हमला हुआ था. बिहार के कई इलाकों में फसलों को भारी नुकसान हुआ था. सबसे अधिक नुकसान सोन कमांड वाले एरिया में ही हुआ था. पलामू प्रमंडल इसी इलाके में आता है.

राज्य से प्रखंड स्तर तक कमेटी

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबु बकर सिद्दीकी ने सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र भेजकर टिड्डी नियंत्रण के लिए गाइडलाइन जारी की है. इसके लिए राज्य से लेकर प्रखंड स्तर तक कमेटी बनाने और रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. राज्यस्तरीय कमेटी में समेति के निदेशक अध्यक्ष होंगे. उप निदेशक पौधा संरक्षण संयोजक होंगे.

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कमेटी में बीएयू के कीट वैज्ञानिक, उप निदेशक योजना, उप निदेशक अभियंत्रण व केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कमेटी के प्रभारी को रखा गया है. जिला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष डीडीसी तथा संयोजक जिला कृषि पदाधिकारी होंगे. प्रखंड में बीडीओ अध्यक्ष होंगे.

Posted By : Mithilesh Jha

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