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शहर का कचरा नदी व तालाब में, फिर कॉलेज ग्राउंड में फेंका

मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर पर्षद ने कचरा फेंकने के लिए नये स्थल की जो तलाश की है, वह है जिला स्कूल का मैदान परिसर व बीएन कॉलेज का मैदान. पहले तालाब, फिर नदी उसके बाद अब स्कूल कॉलेजों के खाली पड़े जगहों को डंप यार्ड बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है. बात सिर्फ यहीं […]

मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर पर्षद ने कचरा फेंकने के लिए नये स्थल की जो तलाश की है, वह है जिला स्कूल का मैदान परिसर व बीएन कॉलेज का मैदान. पहले तालाब, फिर नदी उसके बाद अब स्कूल कॉलेजों के खाली पड़े जगहों को डंप यार्ड बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है.
बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो रही है. नगर पर्षद अपनी कमी को छुपाने के लिए एक खतरनाक तरीका भी इजाद किया है. पहले कचरा फेंकते हैं फिर कर्मियों से उस कचरे में आग लगवा देते हैं. जहां-जहां भी नगर पर्षद द्वारा कचरा फेंका गया है वहां दोपहर में आग लगी रहती है. गर्मी का मौसम है, दोपहर में तेज हवा चलती है. इसलिए आग लगने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता. लेकिन इन सभी आशंकाओं से बेखबर है नगर पर्षद. वहीं दूसरी परेशानी यह है कि कचरे के जलने से जो धुआं निकल रहा है वह कम जहरीली नहीं है. चिकित्सकों की मानें तो इससे सांस की बीमारी हो सकती है. अन्य बीमार लोगों को भी परेशानी हो सकती है.
मालूम हो कि 28, 29 मार्च के अलावा दो, तीन अप्रैल को नगर पर्षद द्वारा विशेष सफाई अभियान चलाया गया था. इस अभियान के दौरान करीब सौ टन कचरा निकला था. तालाब के किनारे फेंके गये कचरे को उठाकर हमीदगंज के कोयल नदी के किनारे ले जाकर फेंका गया था. जिसका विरोध हुआ उसके बाद चालकों ने स्थान निर्धारित करने की मांग उठायी थी. अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि कचरा कहां फेंका जायेगा. कचरा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए करीब दस एकड़ जमीन की जरूरत है. जमीन नहीं मिलने तक वैकल्पिक व्यवस्था किये जाने की बात कही गयी थी. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है. वैकल्पिक व्यवस्था करने के बजाय कचरा फेंकने व उसे नष्ट करने के लिए नगर पर्षद द्वारा जो जगह खोजा गया है वह जिला स्कूल का मैदान है और दूसरा बीएन कालेज का. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है.
लोगों को क्या हो रही है परेशानी
शहर में अब एक दो ही मैदान ही बचे हैं. जहां बच्चे खेलते हैं, सुबह शाम लोग टहलते हैं. उन मैदानों में जिला स्कूल एक है. सुबह शाम मैदान में लोग जुटते हैं, लेकिन वहां कचरा फेंक कर आग लगा देने से सोमवार को लोग काफी परेशान रहे. नियमित रूप से मैदान में आकर टहलने वाले बबलू गिरी, महेश तिवारी का कहना था कि इस पर रोक लगनी चाहिए. पता नहीं नगर पर्षद शहर की सफाई कर रहा है या फिर गंदगी फैला रहा है. वहीं इसके बगल में सेवा सदन है जहां सैकड़ों मरीज भरती हैं उन्हें भी धुआं से काफी परेशानी हो रही है.
नगर पर्षद की इस रवैये से मैं खुद आहत हूं
मेदिनीनगर नगर पर्षद की अध्यक्ष पूनम सिंह का कहना है कि नगर पर्षद की इस रवैये से वह खुद आहत है. कचरा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पांच करोड़ रुपया पिछले कई वर्षों से पड़ा हुआ है. यदि सरकारी स्तर पर भूमि नहीं मिल रही है, तो जमीन क्रय कर कचरा प्रबंधन के लिए काम किया जाये. पर ऐसा नहीं हो पा रहा है. नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं.

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