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शूटरों से करायी गयी थी हत्या
आठ दिसंबर, 2015 को दिन में सुनील पांडेय की हत्या हुई थी. वह उस समय पंचायत चुनाव के प्रचार में जा रहा था. प्रचार के क्रम में वह भंडार के तृप्ति होटल में चाय पी रहा था. इसी दौरान उसकी हत्या कर दी गयी. (मेदिनीनगर) : पलामू पुलिस ने सुनील पांडेय हत्याकांड का उदभेदन कर […]
आठ दिसंबर, 2015 को दिन में सुनील पांडेय की हत्या हुई थी. वह उस समय पंचायत चुनाव के प्रचार में जा रहा था. प्रचार के क्रम में वह भंडार के तृप्ति होटल में चाय पी रहा था. इसी दौरान उसकी हत्या कर दी गयी.
(मेदिनीनगर) : पलामू पुलिस ने सुनील पांडेय हत्याकांड का उदभेदन कर लिया है. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि एक पहले से ही जेल में बंद है. टोना के सुनील पांडेय की हत्या उनलोगों ने ही मिलकर करायी है, जिन्हें सुनील पांडेय से जान को खतरा था. क्योंकि लोग यह समझते थे कि वह तेज-तर्रार और शातिर दिमाग का है. यदि वह जिंदा रहेगा, तो उनलोगों की जान खतरे में पड़ जायेगी. इसलिए वैसे लोगों ने शूटर से संपर्क किया था.
एक लाख रुपये की सुपारी दी गयी थी. उसके बाद योजना तैयार कर सुनील की हत्या की गयी. पुलिस ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है. पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल ने बताया कि हत्याकांड में प्रयुक्त मोटरसाइकिल बिहार के नवीनगर थाना में जब्त किया गया है, जबकि एक मोटरसाइकिल को विश्रामपुर थाना में जब्त किया गया है. पकड़े गये अपराधियों ने पुलिस के समक्ष दिये गये स्वीकारोक्ति बयान में इस पूरे मामले का खुलासा किया है.
डीलर ने दी थी सुपारी
सुनील पांडेय की हत्या के लिए डीलर ने सुपारी दी थी. डीलर शिवकुमार पांडेय ने मुख्य शूटर आरिफ को एक लाख रुपया सुपारी के तौर पर दिया था. सुनील की हत्या की साजिश शिवकुमार पांडेय के गोदाम में ही रची गयी थी.
हत्या की साजिश रचने के लिए शिवकुमार पांडेय के चावल गोदाम में एक बैठक हुई थी, जिसमें कई लोग शामिल हुए थे. यह भी बताया गया कि हत्या के कुछ दिन पहले सुनील पांडेय द्वारा शिवकुमार पांडेय व नवनीत पांडेय के विरुद्ध एक अापराधिक कांड दर्ज कराया गया था, जिससे इनलोगों का संबंध खराब हो गया था. भंडार के कई लोगों के साथ सुनील पांडेय के संबंध खराब थे. सुनील पांडेय तेज-तर्रार एवं शातिर दिमाग के होने के कारण लोग उससे काफी भय खाते थे.
सुनील पांडेय द्वारा कई लोगों को झूठे मुकदमें में फंसा कर तंग भी किया जाता था, उसका व्यक्तिगत चरित्र भी ठीक नहीं था. एसपी श्री पटेल ने बताया कि छानबीन के क्रम में जो मामला सामने आया, उसमें डीलर शिवकुमार पांडेय सहित अन्य लोगों को सुनील पांडेय से जान का खतरा महसूस हो रहा था, इसलिए उनलोगों ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए शूटरों के माध्यम से सुनील पांडेय की हत्या करवायी.
पकड़े गये अपराधियों के नामहैदरनगर के इटावा के राकेश पासवान, राजकुमार पासवान, शिवकुमार पांडेय, राजेंद्र कुमार पासवान बताया गया कि राकेश पासवान की गिरफ्तारी मेदिनीनगर में ओवरब्रिज के पास से की गयी है, जबकि शिवकुमार पांडेय व राजेंद्र पासवान की गिरफ्तारी भंडार से की गयी है.
इस मामले के उदभेदन के लिए पलामू के पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल द्वारा टीम का गठन किया गया था, इस टीम का नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक हीरालाल रवि कर रहे थे, इस टीम में पुलिस निरीक्षक इंद्रासन्न चौधरी, शहर थाना प्रभारी संजय मालवीय, पड़वा थाना प्रभारी रामधार चौधरी, विश्रामपुर थाना प्रभारी आदि शामिल थे. सुनील पांडेय हत्याकांड काफी चर्चित मामला था.
सुनील पांडेय द्वारा पुलिस व नक्सली गंठजोड़ को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की गयी थी. इसी बीच उसकी हत्या हो गयी थी, इस कारण पुलिस पर भी सवाल उठ रहे थे. न्यायालय में भी याचिका दायर हुई थी, जिसके बाद इस मामले में हो रही अनुसंधान के मामले में पलामू पुलिस द्वारा भी रिपोर्ट सौंपी गयी थी.
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