रोजगार की तलाश में पलायन की मजबूरी
– रामकिशोर पांडेय –
पोलपोल (पलामू) : लखेया देवी, जमुनी कुंवर, फुलवसिया देवी जैसी कई महिलाएं हैं, जो मजदूरी करती हैं. घर का काम देखना, बाल-बच्चों के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करने की चिंता इन्हीं महिलाओं पर है. क्योंकि के घर के पुरुष सदस्य या फिर पति बाहर काम करते हैं. पैसा भी इतना नहीं मिलता कि घर की महिलाएं घर में रहें और सब कुछ इंतजाम हो जाये. दिन जैसे ही शुरू होता है, चिंता होती है कि सुबह का चूल्हा जल गया, शाम का क्या होगा.
यह कोई एक दिन की नहीं, बल्कि रोज की बात है. यह कहानी सिर्फ तीन महिलाओं की नहीं, बल्कि सदर प्रखंड की झाबर व लहलहे पंचायत के कई महिलाओं की यह दर्द भरी दास्तान है. इसलिए महिला मजदूरों का समूह घर का काम निबटा कर सुबह में ही काम की तलाश में शहर की ओर निकल जाता है.
इस तरह रोजाना देखा जा सकता है. इसमें कई महिलाएं ऐसी हैं, जिनके घर मनरेगा का जॉब कार्ड भी है. लेकिन कार्ड की उपयोगिता तभी हैं, जब पंचायत में काम चलें. यहां तो हाल यह है कि जो योजना पूर्व में ली गयी थी, वह राशि के अभाव में बंद कर दी गयी है. फिर नये की बात क्या पूछना.