बेतला : पलामू प्रमंडल को कुदरत ने खुबसूरती दी है. यहां कई पर्यटन स्थल हैं, इसमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त हैं. लेकिन कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जो खुबसूरत हैं. पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की पात्रता भी रखते हैं, पर वैसे स्थानों की अपेक्षित चर्चा आज तक नहीं हो सकी. वैसे ही स्थलों में से एक है पलामू किला से सटा असुर बांध.
यहां पहुंचने के लिए पहुंच पथ नहीं है, इसलिए यहां जाने वालों को पैदल या दोपहिया से जाना पड़ता है. इस कारण कई लोग चाहकर भी वहां नहीं जा पाते. पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थल के चर्चा की कड़ी में आज जानिए असुर बांध के बारे में:- पलामू किले से सटा बेतला के अघारा पहाड़ व सतबरवा के फुलवरिया गांव के चेडी पहाड़ के बीच औरंगा नदी पर पत्थर के चट्टानों से बना एक बांध जैसी आकृति है, जिसे असुर बांध का नाम दिया गया है.
आसपास के खुबसूरत नजारे से लबरेज यह स्थल जिज्ञासा बढ़ाने वाला है. यहां से पलामू किला नजारा स्पष्ट होता है. यदि यहां की भौगोलिक संरचना पर गौर किया जाये, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि इस स्थल पर बांध बना दिया जाये, तो निश्चित रूप से पलामू का पुराना किला डूब जायेगा. संभवत: इसी उद्देश्य से यहां बांध का निर्माण कराया गया होगा.
हालांकि जानकारों में इसे लेकर मतभेद है. इस स्थल का ऐतिहासिक प्रमाण भी नहीं मिलता है, इसलिए कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है. कुछ लोगों का मानना है कि असुर बांध का निर्माण पलामू के राजाओं द्वारा कराया गया था, ताकि इसे बांध कर नहर निकाला जा सके और आसपास के इलाके में सिंचाई हो सके. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यहां औरंगा नदी को पार करने के लिए पुल बनाने के उद्देश्य से बांध बनाया गया होगा.
क्योंकि आसपास में ही पलामू किला से शाहपुर किला तक बनाये गये सुरंग का भी अवशेष देखने को मिलता है. फुलवरिया के लोग बताते हैं कि इसी रास्ते से पलामू के शाहपुर तक सुरंग बनाने का कार्य किया गया था. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पलामू के राजाओं के विरोधी ने यहां बांध बनाया था, ताकि पलामू किले को डुबाया जा सके. हकीकत चाहे कुछ भी हो, जो भी पर्यटक यहां आते हैं, यहां घंटों समय गुजारते हैं. औरंगा नदी के कल-कल बहते पानी में स्नान करते हैं, वहीं पिकनिक का भी आनंद लेते हैं.
यहां औरंगा नदी की खुबसूरती देखते ही बनती है. रोचक कहानी भी है: असुर बांध के बारे में रोचक कहानी है. कहा जाता है कि एक समय तत्कालीन राजा की पुत्री से विवाह करने के लिए एक असुर(राक्षस) राजा के सामने प्रस्ताव दिया. उसने धमकी भी दी कि यदि ऐसा नहीं किया तो उसके किले को तहस-नहस कर देगा. राजा के सामने उस असुर ने अपनी शक्ति का नमूना भी पेश किया. उसने कहा कि यदि वह चाहेगा तो एक रात में ही नदी को बांध देगा. राजा को उसकी बातों पर यकीन नहीं हुआ.
उसने कह दिया कि यदि तुम ऐसा कर दोगे, तो मैं अपनी पुत्री का विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगा. कहानी के अनुसार राक्षस अपने काम में लग गया, जहां पर असुर बांध है, वहां पर चटान से नदी को बांधने लगा. राजा को लगा कि सचमुच वह नदी को बांध देगा. इसलिए उसने अपने मंत्रियों व दीवान के साथ अपातकालीन बैठक की. तय किया गया कि कुछ ऐसा किया जाये, ताकि असुर को लगे कि सुबह हो गया. राजा ने भी यह शर्त रखी थी कि यदि सूरज निकलने से पहले उसने बांध का पूरा नहीं किया तो उसे जान से मरवा देगा. बैठक में तय किया गया कि सुरज निकलने का भ्रम पैदा किया जाये और ऐसा ही किया गया. किले के पास आग लगायी गयी. आग के लपटे से आसपास में कुछ रौशनी हो गया.
असुर जो कि बांध बांधने के काम में जुटा था, उसे भ्रम हो गया कि सुबह होने वाला है और वह अपने काम को पूरा नहीं कर सका है. इसलिए वह शर्त हार जायेगा और राजा उसे मरवा देगा. इसलिए वह वहां से भाग खडा हुआ. इस तरह राजा अपने बुद्धिमानी से किले को डूबने से बचा लिया. कैसे जायें: बेतला पहुंचने पर किला रोड में ही असुर बांध जाने का एक पगडंडी है.
चार पहिया वाहन से वहां नहीं पहुंचा जा सकता है. वहां जाने के लिए दोपहिया वाहन की मदद लेना होगा. वैसे सतबरवा से भी यहां आया जा सकता है. सतबरवा से पांच किलोमीटर की दूरी पर फुलवरिया गांव है, जहां पहुंच कर असुर बांध तक जाया जा सकता है.