मेदिनीनगर : पांकी के अंबाबार में तीन दिवसीय नवचंडी महायज्ञ में प्रवचन के दौरान संत शिरोमणि श्रीश्री 1008 वशिष्ठ नारायणाचार्य स्वामी जी ने कहा कि राम कथा का कोई जवाब नहीं है. चाहे हम कितने ग्रंथ को क्यों न पढ़ लें, जब तक रामकथा की जानकारी नहीं होगी और उसमें बतायी गयी बातों को अपने जीवन में नहीं उतारेंगे, तो सब ग्रंथ का ज्ञान बेकार है.
श्रीराम ने जो आदर्श प्रस्तुत किया है, उसे अपनाने की जरूरत है. आज की भागदौड़ की जिंदगी में लोग अपने आचरण को खो रहे हैं. ऐसे लोगों को राह दिखाने का काम रामचरित मानस करता है. उन्होंने कहा कि जीवन जीने की कला की सीख भी हमें राम कथा से मिलती है.
स्वामी जी ने राम कथा की महिमा को बताते हुए कहा कि इस कथा का श्रवण करने से वृद्ध भी स्वयं को युवा महसूस करता है. भगवान का अवतार धर्म की स्थापना के लिए होता रहा है. भगवान शिव ने जगत कल्याण के लिए विषपान किया था. इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि दूसरे के कल्याण के लिए स्वयं को यदि कुछ पीड़ा भी उठानी पड़े, तो हम हिचके नहीं.
परमार्थ के लिए ही मानव शरीर की रचना हुई है. हमें स्वार्थ से ऊपर उठ कर काम करने की जरूरत है. मौके पर योगेंद्र दुबे, रोशन सहित कई लोग मौजूद थे.