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लोक अदालत में भागीदार बनेंगे लाभुक : चीफ जस्टिस

लोक अदालत में भागीदार बनेंगे लाभुक : चीफ जस्टिसहाइकोर्ट में नेशनल लोक अदालत, 170 से अधिक लोगों को मिला नियुक्ति पत्रसैकड़ों मामले के सेटलमेंट के बाद लाभुकों के बीच150 करोड़ रुपये के चेक बांटे गयेसरकार एक गाइड लाइन तैयार कर विषयवार मामलों की सूची तैयार करेझालसा की ओर से कैदियों को न्याय दिलाने को लेकर […]

लोक अदालत में भागीदार बनेंगे लाभुक : चीफ जस्टिसहाइकोर्ट में नेशनल लोक अदालत, 170 से अधिक लोगों को मिला नियुक्ति पत्रसैकड़ों मामले के सेटलमेंट के बाद लाभुकों के बीच150 करोड़ रुपये के चेक बांटे गयेसरकार एक गाइड लाइन तैयार कर विषयवार मामलों की सूची तैयार करेझालसा की ओर से कैदियों को न्याय दिलाने को लेकर अच्छा काम किया जा रहा वरीय संवाददाता, रांची.झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कहा कि लाभुकों को अब लोक अदालत का भागीदार बनाया जायेगा. उन्हें पारा लीगल वोलेंटियर्स (पीएलवी) बना कर ग्रामीणों इलाकों में लोक अदालत के प्रचार-प्रसार का जिम्मा सौंपा जायेगा. ऐसे पीएलवी अपनी क्षेत्रीय भाषा में लोगों को लोक अदालत से मिले त्वरित न्याय के अनुभव बतायेंगे. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव समाज पर पड़ेगा. चीफ जस्टिस ने आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन सह झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया द्वारा दिये सुझाव के आलोक में यह घोषणा की. न्यायाधीश टाटिया ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि लोक अदालत के लाभुक अगर अपनी बात खुद लोगों को बतायें, तो यह सबसे ज्यादा प्रभावशाली होगा. चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह शनिवार को हाइकोर्ट परिसर में आयोजित नेशनल लोक अदालत के उदघाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने महाधिवक्ता को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार एक गाइड लाइन तैयार कर विषयवार मामलों की सूची तैयार करे. अदालत में लंबित ऐसे मामलों की सूची तैयार कर इसे स्पेशल लोक अदालत लगाकर सुलझाया जा सकता है.अगर एक साल में इस प्रकार के तीन लोक अदालत लगाये गये, तो हजारों लंबित मामलों से निजात मिल सकेगा. जस्टिस सिंह ने कहा कि झालसा की ओर से कैदियों को न्याय दिलाने को लेकर अच्छा काम किया जा रहा है. हाइकोर्ट में 50 प्रतिशत से अधिक क्रिमिनल मामले झालसा के प्रयास से दायर हुए हैं. उन्होंने एक मामले का उदाहरण देते हुए बताया कि 4400 दिन विलंब से एक मामले में क्रिमिनल अपील दायर हुआ. याचिका दायर होने के बाद कोर्ट ने एक माह के अंदर इसका निष्पादन कर दिया. नेशनल लोक अदालत के दौरान सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल की ओर से 170 से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया. सैकड़ों मामले के सेटलमेंट के बाद लाभुकों के बीच लगभग 150 करोड़ रुपये के चेक बांटे गये. झारखंड हाइकोर्ट लीगल सर्विसेस कमेटी के चेयरमैन जस्टिस आरआर प्रसाद ने कहा कि लोक अदालत में किसी की हार नहीं होती है. इसमें दोनों पक्षों की सहमति से विवादों का निबटारा होता है. ऐसे में किसी पक्ष को कोई गिला-सिकवा नहीं रहता है. महाधिवक्ता विनोद पोद्दार ने कहा कि सरकार लोक अदालत के माध्यम से विवादों के निबाटारा को लेकर न्यायालय को हर तरह का सहयोग देने को तैयार है. बार काउंसिल के चेयरमैन राजीव रंजन ने कहा विवादों के निबटारे में लोक अदालत काफी कारगर साबित हो रही है. पुराने समय में भी पंचायत के माध्यम से मामलों का निबटारा होता था. इस अवसर पर हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश, पूर्व न्यायाधीश, वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी, विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारी के अलावा कई लोग उपस्थित थे. कई मामलों में बेवजह दायर हो जाती है याचिका : पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन सह झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया ने कहा कि न्यायालयों का गठन वास्तविक विवाद के निबटारा को लेकर हुआ है. कई मामलों में बेवजह याचिका दायर होती है. जब अदालत के समक्ष मामला आता है, तो पता चलता है कि इसका निबटारा अदालत में जाने से पहले ही किया जा सकता था. जिन मामलों में कानूनी विंदू शामिल नहीं है या वैसे मामले जिनमें अदालत के फैसले पहले से हो चुके हैं. उनका निबटारा लोक अदालत के माध्यम से किया जा सकता है. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि लोक अदालत के लाभुकों की सूची तैयार की जाये. साथ ही उन्हें जनता के बीच ले जाकर लोक अदालत के अनुभवों को बांटने का प्रयास करना चाहिए. यह समाज में ज्यादा प्रभावकारी होगा. उन्होंने कहा कि जज और वकील समाज सेवा के रूप में लोक अदालत का काम करें. विवादों के निबटारे का सशक्त माध्यम है लोक अदालत : जस्टिस पटेलझारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि एडीआर पद्धति के तहत लोक अदालत विवादों के निबटारे का सबसे सशक्त माध्यम है. इससे लोगों को त्वरित न्याय मिलता है. इन मामलों में अपील नहीं होती है. विवादों के निबटारे के बाद कोर्ट फीस भी वापस हो जाती है. उन्होंने कहा कि लोक अदालत में प्री लिटिगेशन के साथ-साथ अदालत में लंबित मामलों का भी निबटारा होता है. नेशनल लोक अदालत के माध्यम से अदालत में लंबित मामलों की संख्या में 10 प्रतिशत तक की कमी आयेगी. झालसा अच्छा काम कर रहा है. यही वजह है कि इस वर्ष नौ नवंबर को उल्लेखनीय काम के लिए झालसा को इस्टर्न जोन का बेस्ट अवार्ड मिला.

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