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नर्विरिोध जीते पंसस की उग्रवादियों ने की हत्या

निर्विरोध जीते पंसस की उग्रवादियों ने की हत्या भरनो (गुमला)परवल गांव में घुस कर सुरेंद्र को मारापीएलएफआइ के जगेश्वर महतो के साथ था जमीन विवाद 13 गुम 2 में शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाते लोगप्रतिनिधि, भरनो(गुमला)भरनो थाना के परवल गांव निवासी सुरेंद्र महतो (35) की उग्रवादियों ने गुरुवार की रात गोली मार कर […]

निर्विरोध जीते पंसस की उग्रवादियों ने की हत्या भरनो (गुमला)परवल गांव में घुस कर सुरेंद्र को मारापीएलएफआइ के जगेश्वर महतो के साथ था जमीन विवाद 13 गुम 2 में शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाते लोगप्रतिनिधि, भरनो(गुमला)भरनो थाना के परवल गांव निवासी सुरेंद्र महतो (35) की उग्रवादियों ने गुरुवार की रात गोली मार कर हत्या कर दी. वह पंचायत समिति सदस्य के पद से निर्विरोध जीता था. चुनाव पदाधिकारी ने गुरुवार को उसे विजयी होने का प्रमाण पत्र दिया था. सुरेंद्र पेशे से किसान था और उसका ट्रैक्टर चलता था. किस उग्रवादी संगठन ने हत्या की. इसका पता नहीं चला है. लेकिन आरंभिक अनुसंधान में पीएलएफआइ के उग्रवादियों द्वारा हत्या किये जाने की आशंका जतायी जा रही है. सुरेंद्र महतो का गांव के ही जगेश्वर महतो से जमीन विवाद चल रहा था. जगेश्वर अभी पीएलएफआइ में है. परिजनों को शक है कि जगेश्वर ने ही घटना को अंजाम दिया है. हालांकि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. घटना की सूचना पर रात को ही थाना प्रभारी नित्यानंद महतो गांव पहुंच कर शव को अपने कब्जे में कर लिया था. गोली चलते ही भगदड़ मची: गुरुवार की रात को परवल गांव में लोग ताश खेल रहे थे. सुरेंद्र वहीं पास खड़ा ताश देख रहा था. तभी पांच छह की संख्या में हथियारबंद लोग पहुंचे. जगेश्वर को पलटने के लिए कहा और उसे गोलियों से भून दिया. इसके बाद सभी उग्रवादी फायरिंग करते हुए चले गये. जब सुरेंद्र को गोली मारी गयी, तो ताश खेल रहे लोगों में अफरा-तफरी मच गयी. उग्रवादी जगेश्वर के साथ विवाद था: चार दिन पहले कर्रा थाना के गोसो गांव में उग्रवादियों ने सुरेंद्र के ट्रैैक्टर को आग के हवाले कर दिया था. इसमें जगेश्वर का हाथ था. जमीन विवाद को लेकर जगेश्वर ने कई बार सुरेंद्र को धमकी भी दी है. जगेश्वर चापा महतो की हत्या के आरोप में जेल भी जा चुका है. डेढ़ माह पहले जगेश्वर जेल से निकला है. सुरेंद्र की छवि अच्छी थी : भाईमृतक के भाई बोधन महतो ने बताया कि सुरेंद्र की छवि बेहतर होने के कारण ही जब वह पंचायत समिति सदस्य के पद में नामांकन किया, तो गांव के किसी भी व्यक्ति ने उसके विरुद्ध नामांकन नहीं किया. इस कारण वह निर्विरोध विजयी रहा.

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