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झारखंड हाइकोर्ट में खाली है 11 न्यायाधीशों का पद

झारखंड हाइकोर्ट में खाली है 11 न्यायाधीशों का पद14 जज हैं कार्यरत, 70,000 से अधिक हैं लंबित मामलेरांची : सरकार ने लोगों को शीघ्र व त्वरित न्याय दिलाने के उद्देश्य से झारखंड हाइकोर्ट में न्यायाधीशों के स्वीकृत 20 पदों को बढ़ा कर 25 कर दिया, लेकिन अब तक स्वीकृत पद कभी भरे नहीं गये हैं. […]

झारखंड हाइकोर्ट में खाली है 11 न्यायाधीशों का पद14 जज हैं कार्यरत, 70,000 से अधिक हैं लंबित मामलेरांची : सरकार ने लोगों को शीघ्र व त्वरित न्याय दिलाने के उद्देश्य से झारखंड हाइकोर्ट में न्यायाधीशों के स्वीकृत 20 पदों को बढ़ा कर 25 कर दिया, लेकिन अब तक स्वीकृत पद कभी भरे नहीं गये हैं. वर्तमान में भी चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह सहित 14 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं. स्वीकृत 11 पद रिक्त पड़े हुए हैं. विभिन्न प्रकार के लगभग 70,000 से अधिक मामले हाइकोर्ट में लंबित हैं, जबकि सिविल कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या लाखों में है. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष व हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता पीसी त्रिपाठी ने कहा है कि लोगों को शीघ्र न्याय मिल सके, इसके लिए मामलों की तेजी से सुनवाई होनी चाहिए. हाइकोर्ट में जजों के 11 स्वीकृत पद खाली पड़े हैं. हजारों मामले लंबित हैं. निष्पादन से अधिक मामलों की फाइलिंग प्रतिदिन होती है. इस कारण लंबित मामले कम नहीं हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए एनजीएसी व्यवस्था को निरस्त कर दिया है. कोलेजियम सिस्टम बहाल हो गया है, इसलिए अब जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए. श्री त्रिपाठी ने कहा कि बार कोटे से नियुक्ति में जिला न्यायालयों में प्रैक्टिस करनेवाले अहर्ता व योग्यताधारी सक्षम अधिवक्ताअों को तरजीह मिलनी चाहिए. झारखंड गठन के बाद से बार कोटे से नियुक्ति में हाइकोर्ट में प्रैक्टिस करनेवाले अधिवक्ताअों को ही तरजीह मिलती रही है, जो उचित नहीं कहा जा सकता है. जजों की नियुक्ति में निष्पक्षता जरूरी है. उपरोक्त बिंदुअों पर हाइकोर्ट के कोलेजियम को विचार करना चाहिए.

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