चुनावी मुद्दाफोटो-नेट से प्रतिनिधि, विश्रामपुर(पलामू). विश्रामपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिला. लेकिन पांच वर्ष तक लोगों की शिकायत यही रही कि नगर पंचायत का दर्जा दिला कर ग्रामीण इलाकों में मिलने वाली सुविधा से तो वे लोग वंचित रह गये, साथ ही शहर की कोई सुविधा भी नहीं मिली. कार्य भी शुरू हुए तो वह अधूरे ही रह गये. विश्रामपुर नगर पंचायत अब नगर पर्षद के लिए सात श्मशान घाट शेड को स्वीकृति मिली थी. चार श्मशान घाट शेड की लागत 7.35 लाख की थी. तीन का लागत 6.82 लाख की थी. इसमें भलही गांव में बनने वाली शेड को छोड़ कर अभी भी सभी शेड अधूरे पड़े हैं. इससे आमलोगों को परेशानी होती है. क्योंकि श्मशान घाट पर पेड-पौधे भी नहीं है. गरमी के दिनों में शवदाह करने जाने वाले लोग धूप को लेकर परेशान रहते हैं. बरसात में यदि पानी आ गया, तो कहीं छुपने की जगह नहीं रहती. इसी समस्या को लेकर शेड निर्माण कार्य को स्वीकृति मिली थी, जो कि रेहला, विश्रामपुर, भलवानी, छिपादोहर, गोदरमा में बनना था. बताया गया कि यह कह कर कई शेड का निर्माण रोका गया है. क्योंकि प्राक्कलन अधिक बन गया है. मामला चाहे जो कुछ भी हो, अधूरे कार्य यह बता रहे हैं कि कितनी ईमानदारी के साथ कार्य हुआ है. इस बार के चुनाव में यह महत्वपूर्ण मुद्दा है कि सरकार राशि आवंटित कर रही है, पर उसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. स्थिति ऐसी रही, तो आखिर बदलाव कैसे होगा. इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा है.
पांच वर्ष में नहीं बना श्मशान घाट
चुनावी मुद्दाफोटो-नेट से प्रतिनिधि, विश्रामपुर(पलामू). विश्रामपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिला. लेकिन पांच वर्ष तक लोगों की शिकायत यही रही कि नगर पंचायत का दर्जा दिला कर ग्रामीण इलाकों में मिलने वाली सुविधा से तो वे लोग वंचित रह गये, साथ ही शहर की कोई सुविधा भी नहीं मिली. कार्य भी शुरू हुए तो […]
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