सफदर हाशमी का शहादत सप्ताहमेदिनीनगर. प्रसिद्ध साहित्यकार, रंगकर्मी सफदर हाशमी का शहादत सप्ताह मनाया जा रहा है. इस अवसर पर मंगलवार को रेड़मा स्थित इप्टा कार्यालय में मुशायरा सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता कर रहे प्रो. रामानुज शर्मा ने कहा कि क्रांति का इतिहास शहीदों का रहा है. सफदर हाशमी ने जो विरासत में दी है, उस सांस्कृतिक इतिहास को बचाने की जरूरत है. क्योंकि वर्तमान में सांस्कृति युद्ध का दौर चल रहा है. ऐसी स्थिति में अपनी पहचान बरकरार रहे, इसके लिए सजग व जागरूक रहने की जरूरत है. प्रो एससी मिश्रा ने कहा कि सफदर हाशमी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. कहा कि कुछ वैसे लोग होते हैं जिनकी मृत्यु होने पर खुद मृत्यु भी रो पड़ती है. ऐसे ही प्रतिभा के धनी सफदर हाशमी थे. नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग के इंचार्ज डॉ कुमार वीरेंद्र ने कहा कि इतिहास गवाह है कि कला की टकराहट हमेशा सता से रही है. कला की धार को कुंद करने के लिए सता में बैठे लोगों द्वारा प्रयास किया जाता है. ऐसी स्थिति में सचेत व जागरूक रहना अनिवार्य है. कला को बचाये रखना भी स्वत: सता की खिलाफत है. कला का इस्तेमाल अपने हित में सता के लोग नहीं करे, इसके लिए भी सचेत रहने की जरूरत है. मौके पर शैलेंद्र सिंह, उपेंद्र मिश्रा, शमीम अहमद राइन, उपेंद्रनाथ पांडेय, उदय कुमार, सुधीर कुमार, शब्बीर अहमद, राजीव रंजन, प्रेमप्रकाश, शशि पांडेय, संजीत, अजीत, संजू, रवि आदि मौजूद थे.
सांस्कृतिक विरासत को बचाने की जरूरत
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