फोटो-नेट से हेडलाइन…परीक्षा का समय आया, तो किताबें आयीं प्रतिनिधि, छतरपुर : पलामू.वार्षिक परीक्षा की अवधि शेष तीन माह रह गयी है. आठ माह तक किताब नहीं मिलने से विद्यार्थी विद्यालय में जाकर सिर्फ खेलकूद कर वापस लौट रहे थे. दो दिन पहले शिक्षा विभाग द्वारा छतरपुर बीआरसी को पुस्तक भेजी गयी है. अभी किताबों को विद्यालय भेजना बाकी है. संभव है कि विद्यार्थियों के हाथ में आते-आते दिसंबर माह भी बीत जाये, ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य का क्या होगा? सर्व शिक्षा अभियान के तहत नि:शुल्क पुस्तक वितरण किये जाने का प्रावधान है. इस कारण अभिभावक पूरी तरह बच्चों के किताब के लिए स्कूल पर निर्भर होते हैं. बच्चों को बगैर किताब के स्कूल भेजा जाता है. नतीजतन किताब नहीं होने के कारण बच्चे अपना समय खेलकूद में ही बिताते हैं. अभिभावकों में इसे लेकर रोष है. उनका कहना है कि जो किताबंे अब पहुंची है, यदि वहीं किताबंे सत्र शुरू होने के साथ ही भेज दी जाती, तो निश्चित रूप से बच्चों को पढ़ने का पर्याप्त अवसर मिलता. शिक्षकों को कोर्स पूरा करने का समय मिलता. लेकिन अब जबकि परीक्षा सिर पर है, तब किताब लेकर ही बच्चे आखिर कितनी पढाई कर पायेंगे.
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बदइंतजामी. सत्र के आठ माह गुजर गये बिना पुस्तक के
फोटो-नेट से हेडलाइन…परीक्षा का समय आया, तो किताबें आयीं प्रतिनिधि, छतरपुर : पलामू.वार्षिक परीक्षा की अवधि शेष तीन माह रह गयी है. आठ माह तक किताब नहीं मिलने से विद्यार्थी विद्यालय में जाकर सिर्फ खेलकूद कर वापस लौट रहे थे. दो दिन पहले शिक्षा विभाग द्वारा छतरपुर बीआरसी को पुस्तक भेजी गयी है. अभी किताबों […]
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