एक साल से खराब है मशीन, लोगों में रोष

मेदिनीनगर : करीब एक साल हो गये. पंप हाउस में लगी मशीन खराब पड़ी है. मरम्मत होगी या नहीं ? कुछ पता नहीं. भूलकर भी पेयजल व स्वच्छता विभाग के लोग मुहल्ले में नहीं आते. शहरी जलापूर्ति योजना फेज वन का जो काम हुआ, उससे भी यह इलाका वंचित है. नगरपालिका के जमाने में 30 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 11, 2019 12:59 AM

मेदिनीनगर : करीब एक साल हो गये. पंप हाउस में लगी मशीन खराब पड़ी है. मरम्मत होगी या नहीं ? कुछ पता नहीं. भूलकर भी पेयजल व स्वच्छता विभाग के लोग मुहल्ले में नहीं आते. शहरी जलापूर्ति योजना फेज वन का जो काम हुआ, उससे भी यह इलाका वंचित है. नगरपालिका के जमाने में 30 साल पहले पेयजलापूर्ति के लिए जो पाइप बिछा था, वह भी खराब हो चुका है.

फेज टू के लिए जो सर्वे हुआ था, उसमें यह इलाका शामिल था. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि वह योजना ही अधर में है. ऐसे में प्रचंड गर्मी में इस इलाके का हाल क्या होगा खुद अंदाजा लगाया जा सकता है.
समस्या ग्रस्त यह इलाका मेदिनीनगर नगर निगम के 28 नंबर वार्ड के परिधि में आता है मुसलिम नगर, शाहमुहल्ला है. जहां के लोग पेयजल संकट को झेल रहे है. शुक्रवार से इस इलाके में मेदिनीनगर नगर निगम द्वारा टैंकर से जलापूर्ति की शुरुआत करायी गयी है. क्योंकि इस वार्ड की वार्ड पार्षद हसबुन निशा ने पूर्व में टैंकर से जलापूर्ति का जो कोटा निर्धारित किया था, उसका विरोध कर रही थी.
हसबुन निशा का यह कहना था कि समस्याग्रस्त इलाके का आकलन कर टैंकर से जलापूर्ति का कोटा फिक्स हो. जो इलाके अधिक समस्या ग्रस्त है, वहां अधिक आपूर्ति हो. छह मई से निगम द्वारा टैंकर से जलापूर्ति की शुरुआत करायी गयी थी. लेकिन वार्ड पार्षद द्वारा लगातार तीन दिनों तक विरोध जारी रखा. उसके बाद इस इलाके में दो ट्रीप टैंकर जलापूर्ति को बढ़ा कर पांच ट्रीप कर दिया गया है, जिसके बाद शुक्रवार से टैंकर से जलापूर्ति वार्ड नंबर 28 में भी शुरू हो चुकी है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे थोड़ी राहत मिलेगी. लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है. इलाके को कैसे पेयजल संकट से मुक्त किया जाये. इस पर सोचने की जरूरत है. जब पंप हाउस में लगी मशीन खराब है, कोई देखने वाला नहीं है, तो आखिर उम्मीद क्या की जाये. इस इलाके के लिए कोयल नदी एक बड़ा सहारा है. जब जरूरत के अनुसार लोग चुआंड़ी खोदकर पानी ले आते हैं. यदि कोयल नदी न होता तो स्थिति क्या होती यह सोचकर लोग सिहर उठते हैं.

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