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दस्ते में अब मात्र बचे मात्र तीन सदस्य

प्रमेदिनीनगर/पाटन : सब जोनल कमांडर राकेश भुइयां के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद माओवादी संगठन पर इसका असर पड़ेगा. अब इस इलाके में माओवादियों के सामने अपने प्रभाव को बचाये रखने की चुनौती होगी. क्योंकि पुलिस ने न सिर्फ अॉपरेशन के स्तर पर बल्कि सभी मोरचों पर माओवादियों को घेरने के व्यापक रणनीति तैयार […]

प्रमेदिनीनगर/पाटन : सब जोनल कमांडर राकेश भुइयां के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद माओवादी संगठन पर इसका असर पड़ेगा. अब इस इलाके में माओवादियों के सामने अपने प्रभाव को बचाये रखने की चुनौती होगी. क्योंकि पुलिस ने न सिर्फ अॉपरेशन के स्तर पर बल्कि सभी मोरचों पर माओवादियों को घेरने के व्यापक रणनीति तैयार की है. यही कारण है कि एक तरफ जहां फील्ड में माओवादियों पर पुलिस भारी पड़ रही है.

वहीं दूसरी तरफ मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी पुलिस अपनी रणनीति में सफल हो रही है. क्योंकि मुख्यधारा से भटके लोगों को वापस मुख्यधारा में लाने की जो कार्य योजना है,उसे भी पलामू पुलिस मूर्त रूप देने में लगी है. यदि गौर किया जाये, तो इसमें भी पुलिस को सफलता मिली है. राकेश भुइयां के दस्ते से जुड़े एक सदस्य राजेंद्र भुइयां ने पूर्व में आत्मसमर्पण किया है. इसके अलावा कई माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. पुलिस इस पूरे अभियान के दौरान यह संदेश देने में सफल रही है कि वह चाहती है कि भटके लोग मुख्य धारा से जुड़ें. उसके बाद भी यदि लोग इस बात को नहीं समझ रहे हैं,
तो सक्रियता के साथ उनके खात्मे के लिए भी काम करने में पुलिस पीछे नहीं हटेगी. पहले वैसे इलाकों में पुलिस ने घेराबंदी ,की जो नक्सलियों के लिए सेफ जोन माना जाता था. एसपी के रूप में इंद्रजीत माहथा ने वैसे इलाकों में जाकर स्वयं जनता के साथ सीधा संवाद किया. सुरक्षा की जरूरतों का आकलन किया. जहां आवश्यकता थी, वहां पुलिस पिकेट बनाये गये. पिकेट को ओपी में अपग्रेड किया गया. इसका असर यह हुआ कि वैसे सुदूरवर्ती इलाके जहां दिन में भी नक्सली आसानी से अपनी गतिविधि संचालित कर लेते थे. वैसे जगहों पर पुलिस की दखल बढ़ी.
आमजनों के साथ माओवादियों का कनेक्शन कटा. सुरक्षा के साथ विकास की बातें होने लगी. सुरक्षा के साथ विकास का माहौल तैयार हो, इसके लिए महुदंड, मनातू के कुंडीलपुर, नौडीहा के कुहकुह कला जैसे इलाके में डीसी अमीत कुमार और एसपी इंद्रजीत माहथा के मौजूदगी में प्रशासन आपके द्वार कार्यक्रम किये गये. जनता का विश्वास पुलिस के प्रति बढ़ा. जो लोग माओवादी के कारण गांव छोड़ चुके थे, वह गांव के तरफ लौटे.
कुल मिलाकर देखा जाये, तो सुरक्षा के माहौल के बाद विश्वास का माहौल तैयार हुआ और उसके बाद पुलिस को सूचना मिलने लगी. सूचना के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई भी की.यही वजह है कि पिछले 18 दिनों के अंतराल में पुलिस को उस इलाके में माओवादियों के खिलाफ सफलता मिली. जो इलाके कभी माओवादियों के लिए सेफजोन माना जाता था. कुल मिलाकर कहा जाये, तो शासन प्रशासन ने आमलोगों में विकास के साथ विश्वास का माहौल तैयार करने में सफलता हासिल की है. यहीं कारण है कि अब सूचना तंत्र मजबूत हुआ है व माओवादी कमजोर हुए हैं.
राकेश भुइयां के दस्ते से जुड़ा एक सदस्य राजेंद्र भुइयां पूर्व में ही आत्मसमर्पण कर चुका है
आमलोगों का मिल रहा है सहयोग : लिंडा
मुठभेड स्थल पर सीआरपीएफ के 134 बटालियन के कमांडेंट सतीश कुमार लिंडा ने कहा कि आमजनों के सहयोग से उग्रवाद का खात्मा होगा. राकेश भुइयां के दस्ते के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो, इसके लिए 11 दिन का समय मिला था. लेकिन टीम भावना के तहत काम कर तीन दिन में सफलता हासिल की गयी. राकेश भुइयां के दस्ते के साथ पकड़ने के लिए घेराबंदी की जा रही थी. लेकिन दस्ते के लोगों ने हमला किया, जिसके बाद सीआरपीएफ व पुलिस बल के जवानों ने आत्मरक्षार्थ गोली चलायी, जिसमें राकेश भुइयां सहित चार उग्रवादी ढेर हुए. इस अभियान में सीआपीएफ के उप कमांडेंट राजेंद्र सिंह भंडारी,
पाटन थाना प्रभारी प्रमोद कुमार, नौडीहा थाना प्रभारी दयानंद साह आदि शामिल थे. जिस स्थान पर मुठभेड़ हुआ, वह स्थान पाटन से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. एसपी श्री माहथा और कमांडेंट श्री लिंडा ने कहा कि वर्ष 2018 में पलामू उग्रवाद मुक्त जिला के रूप में जाना जायेगा. इस मिशन पर सक्रियता के साथ काम हो रहा है.
विमल, दीपक और
नीतीश ही बचे हैं दस्ते में
सब जोनल कमांडर राकेश भु‍इयां के मारे जाने के बाद अब इस दस्ते में तीन सदस्य ही बचे हैं. जो सूचना है उसके मुताबिक सोमवार को छतरपुर थाना क्षेत्र के तारूदाग के मलंगा पहाड़ी पर राकेश भुइयां अपनी दस्ते के करीब 20 सदस्यों के साथ जमा हुआ था. उसके बाद विमल यादव, दीपक, नीतीश ही दस्ते में बच गये हैं.
एसपी इंद्रजीत माहथा ने कहा कि जल्द ही इस पूरे दस्ते का सफाया होगा. पुलिस सक्रियता के साथ लगी हुई है. मारा गया जोनल कमांडर राकेश भुइयां इनामी उग्रवादी था. शुरुआती दौर में यह चर्चा हुई कि राकेश भुइयां और विमल यादव दोनों मारे गये. लेकिन बाद में यह स्प‍ष्ट हुआ कि राकेश भुइयां के साथ मारा गया उग्रवादी लल्लू प्रसाद है.
राकेश भुइयां के दस्ते का नौडीहा, छतरपुर व पाटन इलाके में प्रभाव हुआ करता था. पुलिस ने राकेश भुइयां के दस्ते को घेरने के लिए सक्रियता के साथ काम कर रही थी. सूचना मिलने पर उस पर कार्रवाई हो रही थी. पुलिस की सक्रियता का ही नतीजा है कि राकेश भुइयां का दस्ता घिर गया.

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