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किसानों को अब तक नहीं मिले सुखाड़ राहत के पैसे

मामला : जिले के बारियातू प्रखंड का बारियातू : दो वर्ष बीत गये. इसके बावजूद अब तक सुखाड़ राहत के पैसे बारियातू के किसानों को नहीं मिले हैं. सरकार की तरफ से जारी कल्याणकारी योजनाओं व इसके क्रियान्वयन में कितना अंतर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है. पैसे नहीं मिलने से प्रखंड के […]

मामला : जिले के बारियातू प्रखंड का
बारियातू : दो वर्ष बीत गये. इसके बावजूद अब तक सुखाड़ राहत के पैसे बारियातू के किसानों को नहीं मिले हैं. सरकार की तरफ से जारी कल्याणकारी योजनाओं व इसके क्रियान्वयन में कितना अंतर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है. पैसे नहीं मिलने से प्रखंड के किसान मायूस हैं.
कृषि की दृष्टि से बारियातू प्रखंड काफी उन्नत है. मौसम की मार ने जहां किसानों की कमर तोड़ दी है, वहीं सरकारी प्रक्रिया भी किसानों पर जुल्म कर रही है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में कम बारिश से बड़ी मात्रा में धान की फसल बर्बाद हुई थी. इसको देखते हुए सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए फसल की बर्बादी का आकलन के बाद राहत राशि देने की बात कही थी.
अंचल कार्यालय में इसके लिए जुलाई 2016 में एक करोड़, 33 लाख, 80 हजार, 533 रुपये मिले थे. उक्त पैसे अब तक किसानों के बीच नहीं बंटे है. जो विभागीय लापरवाही का परिचायक है.
किसान गोपाल यादव, रामप्रसाद सिंह, मुनिता देवी, ललन उरांव, सरयू गंझू, जितनी देवी, फागुन भुइयां, सहदेव साव, संजय यादव, रेवत लाल, सकेंद्र राम, पूरन साव, सुरेश गंझू, शंभु राम, जानो देवी समेत कई किसानों ने बताया कि वर्ष 2015-16 में कम बारिश से धान की खेती नष्ट हो गयी. लाभुक किसानों की सूची व संबंधित कागजात पूर्व में ही जिले को भेजा गया था.
लोगों ने कहा कि इस वर्ष धान की फसल ठीक हुई, पर ससमय धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से खुले बाजार में औने-पौने दाम पर धान बेचना मजबूरी थी. प्रति क्विंटल 600-700 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. किसानों ने उपायुक्त से इस दिशा में सार्थक पहल की मांग की है.
सूची बना कर बैंकों को भेज दी गयी है राशि: इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी प्रदीप कुमार महतो ने कहा कि सुखाड़ राहत का पैसा बैंक खाते के माध्यम से दिया जाना है.
लाभुक किसानों की सूची बना कर बैंकों को भुगतान के लिए भेज दिया गया है. कुछ किसानों का खाता नंबर गलत था, उसे सुधार कर भेजा जा रहा है. इधर, जिप सदस्य रीना देवी ने कहा कि यह घोर प्रशासनिक लापरवाही है.
किसान पूरा दिन मेहनत करते है. उन्हें ससमय उनका हक नहीं मिलना दुख की बात है. 15 फरवरी को होनेवाली बैठक में इस मामले प्रमुखता से रखूंगी. प्रमुख महावीर उरांव ने कहा कि अंचल कार्यालय व बैंक कर्मियों की लापरवाही से यह स्थिति उत्पन्न हुई है. किसान भटक रहे है. उन्होंने उपायुक्त से किसानों की समस्याओं दूर करने की मांग की.

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