ई-शॉिपंग पड़ी महंगी: मां की डांट पड़ी, तो घर से भागा विकास

मेदिनीनगर : शहर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर में रहने वाले अनिल कुमार सिंह और उनके परिजन परेशान है. अनिल का 14 वर्षीय पुत्र विकास कुमार बुधवार की सुबह करीब पांच बजे बिना किसी को कुछ बताये घर से निकल गया है. वह कहां है और किस हाल में है, इसके बारे में उसके घरवालों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 24, 2017 12:54 PM
मेदिनीनगर : शहर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर में रहने वाले अनिल कुमार सिंह और उनके परिजन परेशान है. अनिल का 14 वर्षीय पुत्र विकास कुमार बुधवार की सुबह करीब पांच बजे बिना किसी को कुछ बताये घर से निकल गया है. वह कहां है और किस हाल में है, इसके बारे में उसके घरवालों को कुछ भी पता नहीं है.

इस मामले अनिल कुमार सिंह ने शहर थाना में गुमशुदगी का सन्हा दर्ज कराया है. पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है. अनिल कुमार सिंह मूलत: तरहसी थाना क्षेत्र के बेदानी गांव के रहने वाले है. वह अपने पूरे परिवार के साथ शहर के हनुमान नगर में रहते हैं. विकास कुमार वर्ग आठवीं का छात्र है. उसकी गुमशुदगी की खबर मिलने के बाद जब पुलिस उसके परिजनों से उसके घर से गायब होने के कारण के बारे में जानना चाहा, तो जो तथ्य उभरकर सामने आये. उसका कारण बिल्कुल नया था. पलामू के पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने बताया कि विकास के मां पिताजी ने जो जानकारी दी, उसके मुताबिक विकास कुमार वर्ग आठ में पढ़ता है. वह स्मार्ट मोबाइल चलाता है. उसी के माध्यम से उसने अॉन लाइन सामान मंगवाया था. इसके बारे में उसने घरवालों को कोई जानकारी नहीं दी थी. जब डिलेवरी के लिए सामान लेकर आया और पैसे की मांग की तो विकास ने मां से पैसा मांगा. पैसे की डिमांड सुनकर विकास की मां ने उसे डांटा. उन्होंने कहा कि बिना पूछे अॉनलाइन सामान मंगाने की क्या जरूरत थी. इसके बाद विकास गुस्से में था. सुबह होने का इंतजार किया और वह घर से कहीं निकल गया.

पुलिस उसके बारे में पता लगाने में जुटी है. कम उम्र के बच्चों में इन दिनों अॉनलाइन सामान मंगाने की लत बढ़ी है. कई बार ऐसा भी होता है, जब न चाहते हुए भी बच्चों की जिद पूरी करने के लिए अभिभावक को बेवजह भी पैसा खर्च करना पड़ता है.
मनुष्य संबंधों पर नहीं, अब मशीन पर आधारित है : प्रो िमश्र
प्रोफेसर सुभाषचंद्र मिश्रा इस स्थिति को काफी गंभीर मानते है. उनकी माने तो अब मनुष्य संबंधों के आधार पर काम नहीं करता. बल्कि वह मशीन आधारित हो गया है. पूर्व और आज की तुलना की जाये, तो पहले अभिभावकों के पास इतना समय जरूर रहता था कि वह अपने बच्चों को अच्छा व बुरा के बारे में समझा सके. लेकिन अभी स्थिति यह है कि काम के कारण अभिभावक खुद थका हुआ है. बच्चों में सामूहिक भावना कम हो रही है. पहले बच्चे मैदान में खेलने जाते थे. कबड्डी, गुल्ली डंडा का खेल होता था. इससे सामूहिक भावना के साथ-साथ समाज में रहने के तरीके सीखे जाते थे. पर आज के अभिभावक भी यह चाहते हैं कि उनका बच्चा सबसे अलग रहे. इसलिए स्मार्ट फोन दे देते है. गेम के बाद अॉनलाइन शॉपिंग शुरू हो जाती है. अन्य कई विकृतियां भी आती है. इसलिए इस पर गंभीर होकर सोचने की जरूरत है.
बच्चों को स्मार्ट फोन से दूर रखें अभिभावक
पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा का कहना है कि अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों को स्मार्ट फोन से दूर रखने का प्रयास करें. क्योंकि अब कम उम्र के बच्चे भी आनलाइन शॉपिंग में लग गये है, तो स्थिति गंभीर है. बच्चों की आवश्यकता की पूर्ति हो पर उसे खुश रखने के लिए उसके हर जिद को न मानें. उसे अच्छे व बुरे का अंतर भी बताए. विकास का मामला बिल्कुल नया तरीके का है.

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