अपनापन का भाव ही जतरा का मूल संदेश है : बिंदेश्वर

भंडरा (लोहरदगा) : प्रखंड क्षेत्र में धोबाली जतरा सोमवार को झारखंडी संस्कृति व आदिवासी परंपरा की सुंदर व आकर्षक नृत्य के साथ विभिन्न खोड़हा व नृत्य मंडलियों द्वारा प्रस्तुत किया गया. ढोल,नगाड़ा व मांदर की थाप से जतरा स्थल गुंजायमान रहा. भौंरो, भीठा, बिटपी, मकुन्दा, तेतरपोका, पझरी, कोटा, धन्नामुन्जी, डुमरटोली, गडरपो, हाटी, जमगाईं, झारातोली, बैमारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 19, 2019 12:28 AM

भंडरा (लोहरदगा) : प्रखंड क्षेत्र में धोबाली जतरा सोमवार को झारखंडी संस्कृति व आदिवासी परंपरा की सुंदर व आकर्षक नृत्य के साथ विभिन्न खोड़हा व नृत्य मंडलियों द्वारा प्रस्तुत किया गया. ढोल,नगाड़ा व मांदर की थाप से जतरा स्थल गुंजायमान रहा. भौंरो, भीठा, बिटपी, मकुन्दा, तेतरपोका, पझरी, कोटा, धन्नामुन्जी, डुमरटोली, गडरपो, हाटी, जमगाईं, झारातोली, बैमारी अम्बेरा, बड़ागाएँ, भइसमुंदों, भैया गांव, मसमानो आदि जैसे दर्जनों खोड़हा व नृत्य मंडली ने द्वारा रंगारंग नृत्य गीत प्रस्तुत कर जतरा में आये लोगों को ध्यान खींचा.

इसी बीच पहान पुजारों द्वारा पूजा अर्चना की गयी. इसमें पारंपरिक आदिवासी संस्कृति के ढोल, नगाड़ा व मांदर के थाप पर झूमते गाते लोग जतरा स्थल पहुंचने के साथ ही मुख्य अतिथि भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बिंदेश्वर उरांव सहित आमंत्रित खोड़हा द्वारा मेहमानों को स्वागत करते हुए मुख्य मंच तक लाया गया.

मौके पर जतरा आयोजन समिति के संयोजक भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बिंदेश्वर उरांव ने नृत्य मंडली व आमंत्रित खोड़हा का हौसला बढ़ाया और कहा कि जतरा के आयोजन से अपनेपन का भाव जागृत होता है जो मिलकर रहने के लिए प्रेरित करता है. यही मूल संदेश है. यही भावना हम सबकी ऐतिहासिक-आदि परंपरा रही है. एक साथ जतरा में आने से सबको अपनेपन का अहसास होता है. सामूहिकता की सोच, हमारी जतरा संस्कृति, रीति-रिवाज आज भी अपनी मौलिकता को बनाये रखे हुए है.

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