प्रकृति के बनाये नियम के अनुसार चलें

लोहरदगा : दामोदर नदी के उद्गम स्थल चूल्हा पानी में देवनद दामोदर महोत्सव का आयोजन किया गया है. देवनद दामोदर महोत्सव गंगा दशहरा पर दामोदर नदी के उद्गम स्थल चूल्हा पानी में सुबह से पूजा-अर्चना के बाद जल लेकर लोहड़ी बाबा का दर्शन किया गया. गुरुकुल शांति आश्रम के आचार्यों द्वारा हवन व आरती के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 13, 2019 1:29 AM

लोहरदगा : दामोदर नदी के उद्गम स्थल चूल्हा पानी में देवनद दामोदर महोत्सव का आयोजन किया गया है. देवनद दामोदर महोत्सव गंगा दशहरा पर दामोदर नदी के उद्गम स्थल चूल्हा पानी में सुबह से पूजा-अर्चना के बाद जल लेकर लोहड़ी बाबा का दर्शन किया गया. गुरुकुल शांति आश्रम के आचार्यों द्वारा हवन व आरती के आयोजन के बाद प्रसाद वितरण कार्यक्रम किया गया. कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया.

मौके पर बालकृष्णा सिंह बाल कल्याण समिति सदस्य सह जिला संयोजक दामोदर बचाव आंदोलन ने कहा कि प्रकृति हमें सब कुछ देती है, तो हमें भी प्रकृति के बनाये नियम के अनुसार चलना चाहिए. कहा कि जल है, तो जीवन है. अगर जल नहीं रहेगा तो दुनिया समाप्त हो जायेगा. जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.
उन्होंने कहा कि सरयू राय के आंदोलन का फल है कि दामोदर नदी आज स्वच्छ हो रहा है और सलगी क्षेत्र चूल्हा पानी जाने के लिए पगडंडी का सहारा था, जो छोटी गाड़ियां चूल्हा पानी तक पहुंच रही है. सड़क, पुलिया व चेकडैम बने. विचार गोष्ठी के बाद वनदेवी को भोग लगा कर भंडारा लगाया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भंडारा का प्रसाद ग्रहण किया. मुनेश्वर साहू के नेतृत्व में कीर्तन का आयोजन किया गया.
इस दौरान जतरा का आयोजन किया गया. इसमें लोहरदगा, रांची, गुमला, लातेहार जिले के श्रद्धालु शामिल हुए. कार्यक्रम में सहयोगी के रूप में युगांधर भारती, देवनद दामोदर विकास ट्रस्ट, नेचर फाउंडेशन झारखंड सरकार व दामोदर बचाव आंदोलन के कार्यकर्ता भाग लिये. मौके पर शरदचंद्र आर्य, भूषण प्रसाद, रामस्वारथ साहू, सुभाष यादव, जयनारायण प्रजापति, नंदलाल महतो, जय श्रीराम समिति के अजय सोनी, प्रदीप साहू, ओम महतो, विक्की कसेरा, अनूप गुप्ता, मुकेश, संजय यादव, मुनेश्वर साहू, मनोज गंझू, सूरज गंझू, संतोष कुमार, शांति देवी, मुनि देवी, प्रयाग साहू, बंधु प्रजापति, सरोज देवी शामिल थे.

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