पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हुआ

शेड निर्माण नहीं होने से बरसात व गरमी में होती है श्रद्धालुओं को परेशानी कुड़ू(लोहरदगा) : प्रखंड मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर कुड़ू-चंदवा मुख्य पथ के किनारे टिको नदी तट पर मौजूद बुढ़वा महादेव के दरबार से आज तक कोई खाली नहीं लौटा है. शिव मंदिर में मन्नत लेकर आने वाले हर फरियादी की बात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 23, 2017 10:03 AM
शेड निर्माण नहीं होने से बरसात व गरमी में होती है श्रद्धालुओं को परेशानी
कुड़ू(लोहरदगा) : प्रखंड मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर कुड़ू-चंदवा मुख्य पथ के किनारे टिको नदी तट पर मौजूद बुढ़वा महादेव के दरबार से आज तक कोई खाली नहीं लौटा है. शिव मंदिर में मन्नत लेकर आने वाले हर फरियादी की बात सुनी जाती है. उनकी फरियाद पूरी होती है. पिछले पांच सालों से टिको शिव मंदिर में शादियां भी जम कर हो रही है. सुविधाओं के अभाव में टिको शिव मंदिर को प्रसिद्धि नहीं मिल पा रहा है. प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इसके अलावा महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति के मौके पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. यहां बहने वाली नदी तट पर निवर्तमान विधायक कमल किशोर भगत के मद से सीढ़ी का निर्माण कराया गया है.
टिको शिव मंदिर में इस साल 40 जोड़ियों की शादी हुई है. ग्रामीण बताते है कि यहां विवाह करने वालों लोगों का जीवन बेहतर चल रहा है. ग्रामीणों ने स्थानीय सांसद, विधायकों, मंत्रियों से विवाह शेड निर्माण कराने, टिको शिव मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित करने की मांग दस सालों से करते आ रहे है. लेकिन जनप्रतिनिधि कुड़ूवासियो को सिर्फ आश्वासन देते हैं. मंदिर परिसर के समीप किसी प्रकार का शेड नहीं होने से शादी-विवाह, पूजा-अर्चना करने आये श्रद्धालुओं और ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात व गरमी के दिनों में होती है. टिको शिव मंदिर मे सुविधा बहाल हो जाये तो श्रद्धालुओं को काफी राहत मिलेगी.
काफी पुराना है मंदिर का इतिहास
पुरोहित विश्वनाथ पाठक बताते हैं कि टिको मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. एक चरवाहा अपने मवेशियों को चराने लेकर जाता था. एक गाय झाड़ी में प्रवेश कर जाती थी और शाम में वह दूध नहीं देती थी. एक दिन चरवाहा ने देखा कि झाड़ी में शिवलिंग के आकार का एक पत्थर है जिस पर गाय दूध दे रही है. चरवाहा को रात में सपना आया और दूसरे दिन उसने झाड़ी की सफाई की. और इसके बाद वहां उसने पूजा करना प्रारंभ कर दिया.

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