Durga Puja: नवरात्र में यहां मस्जिद के अंदर होती है अल्लाह की इबादत, बाहर रामचरितमानस का पाठ

Durga Puja: झारखंड के लातेहार शहर के बीचोबीच स्थित है अंबाकोठी मुहल्ला. यह मुहल्ला गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है. दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू-मुस्लिम एक साथ पूजा और इबादत करते हैं. इसलिए इस मुहल्ला को सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता है. हर नवरात्र में राम और रहीम एक साथ पूजा करते हैं. यह सिलसिला 46 वर्षों से बिना किसी विवाद के चल रहा है.

By Prabhat Khabar Print Desk | October 23, 2020 5:53 PM

Durga Puja: लातेहार (चंद्रप्रकाश सिंह) : झारखंड के लातेहार शहर के बीचोबीच स्थित है अंबाकोठी मुहल्ला. यह मुहल्ला गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है. दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू-मुस्लिम एक साथ पूजा और इबादत करते हैं. इसलिए इस मुहल्ला को सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता है. हर नवरात्र में राम और रहीम एक साथ पूजा करते हैं. यह सिलसिला 46 वर्षों से बिना किसी विवाद के चल रहा है.

सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिस मुहल्ले में मस्जिद है, उस मुहल्ले में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता. महायज्ञ स्थल से मस्जिद की दूरी मात्र 50 फुट है. बावजूद इसके, आज तक यहां कभी माहौल खराब नहीं हुआ. हर साल नवरात्र में इस मुहल्ले में 10 दिन तक रामचरित मानस का पाठ होता है. इस दौरान पड़ने वाले शुक्रवार को शहर के विभिन्न मुहल्ले में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा करने आते है.

नमाज पढ़ने के बाद संगीत की धुन पर रामायण पाठ का आनंद भी लोग लेते हैं. वर्ष 1974 से रामचरित मानस महायज्ञ की शुरुआत हुई थी. मस्जिद का निर्माण काफी समय पूर्व कराया गया था. कहा जाता है कि एक दारोगा ने मस्जिद निर्माण की कल्पना की थी और उनके प्रयास से ही इस मुहल्ले में मस्जिद का निर्माण कराया गया. प्रारंभ में रामचरित मानस के पाठ का स्वरूप काफी छोटा था.

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उस वक्त मस्जिद भी सिर्फ एक कमरा का था. आज रामचरित मानस पाठ और मस्जिद का स्वरूप भी बदल गया. मस्जिद आज तीन मंजिला है. इसी अंबोकोठी मुहल्ला में मुहर्रम के दौरान सदर प्रखंड के अलावा कई ग्रामीण क्षेत्रों का तजिया मिलान होता है. यह परंपरा भी वर्षों से चली आ रही है.

कोरोना ने बदला स्वरूप

कोरोना वायरस महामारी के कारण सब कुछ बदल गया है. लोगों की जीवन शैली में काफी बदलाव आया है. इस वर्ष रामचरित मानस का स्वरूप काफी छोटा है. वहीं, मस्जिद में भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए लोगों ने नमाज अदा की. रामचरित मानस पाठ में पहले 500 महिलाएं पूजा करतीं थीं. इस बार मात्र 11 महिलाओं से पाठ कराया जा रहा है. दूसरी ओर, मस्जिद में नमाज अदा करने वालों की संख्या अधिक रहती थी, जो आज सीमित है.

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क्या कहते हैं अध्यक्ष

रामचरित मानस महायज्ञ समिति के अध्यक्ष प्रमोद प्रसाद सिंह कहते हैं कि मंदिर और मस्जिद में एक साथ कई वर्षों से पूजा और इबादत होती रही है. मुहल्ले में हमेशा आपसी सौहार्द बना रहता है.

Posted By : Mithilesh Jha

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