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Basant Panchami 2021 : सरस्वती पूजा को लेकर मां की प्रतिमाओं की बाजार में कितनी है डिमांड, पढ़िए कोरोना काल में मूर्तिकारों की क्या है पीड़ा

Basant Panchami 2021, Jharkhand News, लातेहार न्यूज (आशीष टैगोर) : बसंत पंचमी में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा धूमधाम से की जाती है. खास कर विद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थानों में मां सरस्वती की प्रतिमायें स्थापित कर श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इस पूजा में छात्रों की सहभागिता सबसे अधिक होती है. इस वर्ष सरस्वती पूजा 16 फरवरी को मनायी जा रही है. बावजूद इसके प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकारों के यहां काफी कम भीड़ है. शहर के गुरूद्वारा रोड में कई मिट्टी शिल्पकार प्रतिमायें बनाते हैं. ये कहते हैं कि कोरोना के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा की काफी कम डिमांड है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है.

Basant Panchami 2021, Jharkhand News, लातेहार न्यूज (आशीष टैगोर) : बसंत पंचमी में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा धूमधाम से की जाती है. खास कर विद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थानों में मां सरस्वती की प्रतिमायें स्थापित कर श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इस पूजा में छात्रों की सहभागिता सबसे अधिक होती है. इस वर्ष सरस्वती पूजा 16 फरवरी को मनायी जा रही है. बावजूद इसके प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकारों के यहां काफी कम भीड़ है. शहर के गुरूद्वारा रोड में कई मिट्टी शिल्पकार प्रतिमायें बनाते हैं. ये कहते हैं कि कोरोना के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा की काफी कम डिमांड है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है.

मूर्तिकार रंधीर प्रजापति ने कहा कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण मां सरस्वती की प्रतिमाओं की बिक्री पर खासा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय बंद हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना नहीं की जा रही है. इसका सीधा असर प्रतिमाओं की बिक्री पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि उच्च विद्यालय एवं कॉलेज ही खुले हैं. सिर्फ यहीं से प्रतिमाओं का ऑर्डर मिला है.

उन्होंने कहा कि कुछ संघों ने भी प्रतिमा का ऑर्डर मिला है. पिछले वर्ष सभी छोटी-बड़ी प्रतिमाओं को मिला कर 250 प्रतिमायें बनायी थीं, लेकिन इस बार सौ प्रतिमाओं में ही व्यवसाय सिमट कर रह गया है. इस वर्ष प्रतिमाओं की कीमत भी कम रखनी पड़ी है. पहले एक प्रतिमा की कीमत पांच सौ से पांच हजार रूपये तक थी, लेकिन इस बार प्रतिमाओं की कीमत दो से ढाई हजार में ही सिमट गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण पिछले वर्ष दुर्गा पूजा में भी व्यवसाय प्रभावित हुआ था. दुर्गा पूजा में छोटे आकार की प्रतिमायें बनने के कारण पारिश्रमिक भी कम मिला था.

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अपने पिता के साथ प्रतिमायें बनाने वाले कुंदन प्रजापति ने कहा कि इस बार प्रतिमायें काफी कम बनी हैं. पहले तो रात-रात भर जाग कर प्रतिमाओं को सजाने-सवांरने का काम करते थे, लेकिन इस बार इसकी नौबत ही नहीं आयी. गुरूद्वारा रोड में ही अपने पति मूर्तिकार अखिलेश प्रजापति के कामों में हाथ बंटाने वाली इंदुमति देवी ने बताया कि इस बार प्रतिमाओं की डिमांड अधिक नहीं है. वर्षों से जिस स्कूल में प्रतिमा देते थे. इस साल वहां भी पूजा नहीं हो रही है. हर साल सपरिवार मूर्तियां बनाया करते थे, लेकिन बार सब खाली हैं.

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राजकीय मध्य विद्यालय बाजार के प्रधानाध्यापक अमेरिका प्रसाद गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष विद्यालय में पूजा नहीं की जा रही है. उच्चाधिकारियों से इस संबंध में मंतव्य लिया गया था.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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