जयनगर में उच्च शिक्षा का हाल-बेहाल

शिक्षा के विकास में सरकार के दावे से जमीनी हकीकत अलग जयनगर :झारखंड सरकार शिक्षा के विकास का लाख दावा करें, पर जमीनी हकीकत इससे अलग है. हकीकत यह है कि शिक्षकों व संसाधन के अभाव में उत्क्रमित हुए उच्च विद्यालयों का हाल बेहाल है. वहीं मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित उच्च विद्यालय का दर्जा देने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 20, 2019 2:21 AM

शिक्षा के विकास में सरकार के दावे से जमीनी हकीकत अलग

जयनगर :झारखंड सरकार शिक्षा के विकास का लाख दावा करें, पर जमीनी हकीकत इससे अलग है. हकीकत यह है कि शिक्षकों व संसाधन के अभाव में उत्क्रमित हुए उच्च विद्यालयों का हाल बेहाल है. वहीं मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित उच्च विद्यालय का दर्जा देने के बाद मध्य विद्यालय के शिक्षक ही उच्च विद्यालय के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं. कुछ यही हाल है वर्ष 1962 में स्थापित मध्य विद्यालय घंघरी का जो अब उत्क्रमित उच्च विद्यालय है. स्थिति यह है कि विद्यार्थी स्कूलों में टाइम पास कर रहे हैं.

वर्ष 2012 में हुआ उत्क्रमित उच्च विद्यालय : 1962 में स्थापित हुआ राजकीय मध्य विद्यालय घंघरी को सरकार ने वर्ष 2012 में उत्क्रमित करते हुए उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया था. यहां नवम व दशम के 200 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो सरकारी शिक्षक हैं. वहीं मध्य विद्यालय में 350 विद्यार्थियों को छह पारा शिक्षक पढ़ा रहे हैं. यहां एक भी सरकारी शिक्षक नहीं, बल्कि पारा शिक्षक को ही प्रधानाध्यापक का अतिरिक्त प्रभार मिला है.

यहां उच्च विद्यालय के विद्यार्थियों की शिक्षा मध्य विद्यालय के शिक्षकों के भरोसे है. यहां कंप्यूटर तो है मगर कंप्यूटर शिक्षक नहीं है. यहां वर्ग नवम में 92 तथा दशम में 93 विद्यार्थी अध्ययनरत है. मगर उनकी पढ़ाई के लिए अलग से भवन नहीं है, बल्कि उन्हें मध्य विद्यालय के भवन में पढ़ना पड़ता है.

वर्ष 2015 में उत्क्रमित उच्च विद्यालय में एस एंड एम कंस्ट्रक्शन रांची द्वारा भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया, मगर पांच वर्ष बाद भी उक्त भवन अधूरा है. शौचालय की टंकी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. पाइप लाइन तितर-बितर है. वायरिंग व बोरिंग का अता- पता नहीं है. ऐसी स्थिति के कारण भवन विद्यालय को सुपुर्द नहीं हुआ है.

विभाग ने जब एचएम गुलाब राम को भवन हैंड ओवर करने का निर्देश दिया तो एचएम श्री राम ने एक पत्र लिखकर विभाग को भवन की स्थिति से अवगत कराते हुए हैंड ओवर करने से इंकार कर दिया. चार वर्षों से बंद यह भवन रख-रखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त भी होने लगा है.

सरकार का स्कूलों पर ध्यान नहीं : मुखिया : स्थानीय मुखिया बाला लखेंद्र पासवान ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि विभाग से जब शिक्षक बहाल करने कहा जाता है तो विभाग शिक्षकों की कमी का रोना रोता है.

उन्होंने कहा कि सरकार का शिक्षकों की कमी की ओर ध्याननहीं है, जिसके कारण शिक्षा का गुणात्मक विकास नहीं हो पा रहा है. इधर, एसएम डीसी अध्यक्ष अर्जुन चौधरी ने भी शिक्षकों की कमी पर चिंता जताते हुए यहां शिक्षक बहाल करने की मांग की है.

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