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कोडरमा में पीपल पेड़ का हुआ ट्रांसप्लांटेशन, पढ़ें पूरी प्रक्रिया

Jharkhand news, Koderma news, कोडरमा : आखिरकार एक पीपल के पेड़ को जिंदा रखने के लिए सोमवार (4 जनवरी, 2021) को धरातल पर काम हुआ और लंबे समय से सड़क किनारे खड़े पेड़ को उचित जगह पर ट्रांसप्लांट किया गया. पेड़ ट्रांसप्लांटेशन के बाद इसके बचने की संभावना प्रबल हो गयी है. ट्रांसप्लांटेशन होने के बाद इसके लिए सबसे पहले सार्थक प्रयास करने वाले पर्यावरणविद् इंद्रजीत सामंता काफी खुश हैं और इस कार्य के लिए प्रभात खबर के साथ ही वन विभाग व संबंधित कार्य एजेंसी NHAI के प्रति आभार जताया है.

Jharkhand news, Koderma news, कोडरमा : आखिरकार एक पीपल के पेड़ को जिंदा रखने के लिए सोमवार (4 जनवरी, 2021) को धरातल पर काम हुआ और लंबे समय से सड़क किनारे खड़े पेड़ को उचित जगह पर ट्रांसप्लांट किया गया. पेड़ ट्रांसप्लांटेशन के बाद इसके बचने की संभावना प्रबल हो गयी है. ट्रांसप्लांटेशन होने के बाद इसके लिए सबसे पहले सार्थक प्रयास करने वाले पर्यावरणविद् इंद्रजीत सामंता काफी खुश हैं और इस कार्य के लिए प्रभात खबर के साथ ही वन विभाग व संबंधित कार्य एजेंसी NHAI के प्रति आभार जताया है.

जानकारी के अनुसार, रांची- पटना रोड के बरही से कोडरमा तक हो रहे फोरलेन निर्माण कार्य को लेकर गत माह झुमरी के पास वर्षों पुराने एक पीपल के पेड़ को उखाड़ दिया गया था. नियमत: इस पेड़ को ट्रांसप्लांट नहीं किया जाना था, पर समय के साथ सड़क किनारे पड़े रहने की वजह से इसके ऊपर हरे पत्ते निकल आये थे. इस दृश्य को देख पर्यावरणविद् श्री सामंता ने वन विभाग को सूचित किया था.

जानकारी मिलने पर डीएफओ सूरज कुमार सिंह ने NHAI को 10 नवंबर, 2020 को एक पत्र जारी करते हुए उक्त पीपल के पेड़ को ट्रांसप्लांट करने को कहा था. पत्र में उन्होंने लिखा था कि उक्त पेड़ ट्रांसप्लांट करने पर सर्ववाइव कर सकता है. पेड़ में पुर्नजीविता की प्रबलता ज्यादा है. ऐसे में जल्द ही इसे अन्यत्र जगह ट्रांसप्लांट करना सुनिश्चित करें, ताकि पेड़ की उत्तरजीविता बनी रहे.

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इस मामले को प्रभात खबर ने 18 नवंबर, 2020 के अंक में पहले उखाड़ा. अब ट्रांसप्लांट की तैयारी शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था. काफी समय बीत जाने पर भी ट्रांसप्लांटेशन को लेकर कार्य एजेंसी ने उचित जगह की तलाश करने की बात कही थी, जिसको लेकर प्रभात खबर ने 16 दिसंबर, 2020 को अब तक नहीं हुआ पीपल पेड़ का ट्रांसप्लांटेशन शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया.

बताया जाता है कि इस मामले को लेकर लगातार DFO ने NHAI को निर्देशित किया. इसके बाद ट्रांसप्लांटेशन को लेकर धरातल पर पहल हुई. सोमवार को DFO ने खुद ट्रांसप्लांटेशन स्थल पर पहुंचकर कार्य का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने संवेदक के प्रतिनिधि को कई निर्देश दिये. DFO ने पेड़ को बचाये रखने के लिए समय- समय पर पानी देने की भी बात कही. पेड़ का ट्रांसप्लांटेशन पहले वाली जगह से कुछ मीटर की दूरी पर किया गया है.

इतने बड़े पेड़ का पहली बार ट्रांसप्लांटेशन

DFO सूरज कुमार सिंह ने बताया कि चौड़ीकरण कार्य में करीब 3518 पेड़ प्रभावित हो रहे हैं, जिसमें से 7 इंच से कम व्यास वाले 1727 पेड़ को ट्रांसप्लांट करने का निर्देश दिया गया है. पीपल का पेड़ ज्यादा व्यास का था, जिसे नियमत: ट्रांसप्लांट नहीं किया जाना था, पर उसकी उत्तरजीविता को देखते हुए इस तरह की पहल की गयी है. उन्होंने बताया कि पेड़ का सर्वावाइल बना रहे इसके लिए निर्देशित किया गया है. DFO ने यह भी कहा कि एक-एक पेड़ हमारे जीवन के लिए कीमती है. इस बात को हर किसी को समझना होगा. हमें पेड़ों के संरक्षण को लेकर आगे आने की जरूरत है.

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जमीन देने के लिए ग्रामीणों ने की पहल

पर्यावरणविद् इंद्रजीत सामंता ने बताया कि पीपल पेड़ का उचित जगह पर ट्रांसप्लांटेशन हो इसके लिए झुमरी के ग्रामीणों ने अच्छी पहल की. ग्रामीणों ने चबूतरे के पास की जमीन पर पेड़ लगाने का सुझाव दिया था, जिसे विभाग को प्रेषित करते हुए कार्य पूर्ण हुआ है. उन्होंने कहा कि पेड़- पौधों के बचाव के लिए अब लोगों में जागरूकता आ रही है. इसे और बढ़ाने की जरूरत है.

Posted By : Samir Ranjan.

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