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Jharkhand Weather Forecast: बारिश के बाद झारखंड के किसानों में जगी आस, सितंबर तक ऐसा रहेगा मौसम

लंबे वक्त बाद बोरिश होने से झारखंड के किसानों में एक बार फिर आस जाग गयी है. इसका असर पूरे सप्ताह रहने वाला है. मौसम केंद्र दिल्ली ने अनुमान लगाया है कि पूरे भारत में अगस्त और सितंबर के माह में अच्छी बारिश होगी.

रांची : राजधानी रांची समेत पूरे राज्य के किसान कई दिनों से आसमां की ओर टकटकी लगाये बैठे थे. उम्मीद थी कि सावन में बादल झूमकर बरसेगा, लेकिन सावन के 15 दिन, तो बादल को निहारने में ही गुजर गये. अब बादल गरज भी रहा है और बरस भी रहा है. एक बार फिर खेती-बारी की उम्मीदें दिखने लगी हैं. बारिश की बूदों से खेत की प्यास बुझने लगी है. आकाश के काले-काले बादल किसानों के मन को हरा-भरा कर रहे हैं. राजधानी और आसपास में महिलाएं धान रोपा करते दिखायी देने लगी हैं. धान के खेत में गीत गूंजने लगे हैं. किसानों को उम्मीद है कि 15 दिनों तक मौसम ऐसे ही मेहरबान रहा, तो पेट भरने लायक अनाज हो जायेगा.

सक्रिय हुआ मॉनसून एक सप्ताह तक रहेगा असर

राजधानी रांची और आसपास के इलाके में सोमवार को दिन भर काले बादल छाये रहे और रुक-रुक कर बारिश होती रही. राजधानी में दिन भर में कुल 26 मिमी बारिश दर्ज की गयी. मंगलवार को भी कहीं-कहीं भारी बारिश का अनुमान है. बारिश की वजह से किसानों के चेहरे पर उम्मीद की लकीर भी दिखने लगी है. मौसम केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने कहा कि मॉनसून टर्फ उत्तर की ओर चल रहा है. इस कारण हिमालय की तराई पर स्थित है. तीन अगस्त तक हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होगी. उत्तर पश्चिमी (पलामू प्रमंडल) और उससे सटे मध्य भाग (राजधानी और आसपास) में कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है. आनेवाले एक सप्ताह तक गर्जन और वज्रपात की चेतावनी है.

अगस्त-सितंबर में अच्छी बारिश का पूर्वानुमान

मौसम केंद्र दिल्ली ने अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया है. पश्चिमी तट, मध्य भाग और उत्तर पश्चिमी भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. पूर्व मध्य, मध्य, पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों में सामान्य से नीचे बारिश होने की संभावना है.

सुधर रही है स्थिति

राजधानी में भी खरीफ के मौसम में खेती-बारी की स्थिति अच्छी नहीं थी. अब तक 10 फीसदी ही रोपनी हो पायी है़ मक्का की खेती अच्छी हुई है. 90 फीसदी खेत अब भी खाली हैं. बिचड़ा तैयार है. किसान खेतों में हैं. समुचित बारिश नहीं होने के कारण रोपा के काम में तेजी नहीं आ रही थी. जिन किसानों ने मॉनसून की शुरुआती बारिश में बिचड़ा लगाया था, उनका बिचड़ा तैयार हो गया है.

हालांकि बिचड़ा लगाने का समय धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है. आमतौर पर 31 जुलाई तक ही रोपनी होती है़ इसके बाद होने वाले रोपा से पैदावार पर असर पड़ता है. यही कारण है कि खेती बारी की स्थिति देखते हुए जिला स्तर पर किसानों को राहत देने की कोशिश की जा रही है़ कृषक गोष्ठी कर वैकल्पिक खेती, फसल राहत योजना आदि की जानकारी दी जा रही है.

किसानों में जगी आस

नगड़ी प्रखंड की 13 पंचायतों के किसान कम वर्षा से परेशान थे. अब इनके चेहरे पर कुछ उम्मीदें जगी हैं. डोकाटोली के किसान अरुण महतो, भोला महतो, आनंद साहू, मनोज महतो ने बताया कि उनका पूरा परिवार धान की खेती पर ही आश्रित है. खेती नहीं होने से आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी. वहीं पिठोरिया के किसान सफीउल्लाह अंसारी ने बताया कि तीन-चार दिनों में अच्छी बारिश हुई है. खेत में पानी जमा हुआ है. यह पानी कुछ दिन तक जमा रहेगा, तो रोपनी हो जायेगी. बीएयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ नैय्यर अली ने बताया कि बारिश से खेती की उम्मीद जगी है़

गांव-गांव तक जाकर किसानों को सूखे से निपटने के उपाय बताये जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि लंबी अवधि वाली वेराइटी का उपयोग नहीं करें. फसल राहत योजना का लाभ लें. केसीसी का पूरा उपयोग करें. ज्यादातर प्रखंडों में कृषक गोष्ठी हो चुकी है

यहां जानिए कितनी हुई धनरोपनी

प्रखंड लक्ष्य धान लगा

कांके 10897 763

रातू 7767 155

नगड़ी 5570 112

मांडर 9152 276

चान्हो 8770 263

बुढ़मू 10052 201

खलारी 2863 58

बेड़ो 10948 1094

इटकी 4018 81

लापूंग 10306 205

ओरमांझी 11845 1421

नामकुम 12231 734

अनगड़ा 10691 428

सिल्ली 12744 510

बुंडू 10562 211

सोनाहातू 8379 922

राहे 7739 773

तमाड़ 16466 824

(आंकड़े हेक्टेयर में)

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