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अवैध शराब से मौत पर पीड़ित परिवार को दोषी देंगे 10 लाख तक का मुआवजा, होगी 10 साल की सजा

झारखंड में अवैध शराब पीने से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो दोषी को पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देना होगा. अगर किसी वजह से दोषी व्यक्ति मुआवजा नहीं दे पाता है तो उनके चल और अचल संपत्ति से वसूली होगी.

रांची : झारखंड में अवैध, नकली या मिलावटी शराब पीने से मौत होने पर कोर्ट के आदेश से दोषी को 10 लाख रुपये तक का मुआवजा पीड़ित परिवार को देना होगा. अगर दोषी कोर्ट के आदेश के तहत मुआवजे का भुगतान नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति में कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषी के चल-अचल संपत्ति से मुआवजे की वसूली की जायेगी. यह प्रावधान झारखंड उत्पाद संशोधन विधयेक 2022 में किया गया है. विधानसभा से गुरुवार को इसकी मंजूरी मिल गयी.

विधेयक में कहा गया है कि मदिरा (शराब) में कोई हानिकारक दवा आदि मिलाने के कारण अपंगता या गंभीर तौर पर क्षति होने की स्थिति में कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये गये व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा पीड़ित को देना होगा. यदि अवैध शराब के कारण किसी व्यक्ति को कोई क्षति नहीं हुई हो, फिर भी ऐसे मामलों में उस शराब व्यवसायी को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपये के दंड का प्रावधान किया गया है.

अगर अवैध शराब के कारण किसी व्यक्ति को मामूली क्षति हुई हो, तो ऐसे मामले में 10 वर्ष तक की सजा एवं ढाई लाख रुपये तक जुर्माने भरना पड़ेगा. कोई व्यक्ति अगर उपयोग के लिए अवैध शराब का आयात, निर्यात, परिवहन, विनिर्माण और संग्रह कर उसे अपने कब्जे में रखेगा, उसे बोतलों में भरेगा या बिक्री करेगा जिससे किसी व्यक्ति के अपंग या गंभीर क्षति या मृत्यु होने की संभावना हो, तो ऐसे मामले में अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी. सरकार के निगम के अधीन चलनेवाले लाइसेंसी दुकानों में गड़बड़ी पर संबंधित कर्मचारी को जवाबदेह ठहराया जायेगा. जांच में आरोप साबित होने पर कार्रवाई होगी.

इधर, माले विधायक विनोद कुमार सिंह एवं आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कौशल विद्या उद्यमिता, डिजिटल एवं स्किल विश्वविद्यालय विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की. प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इस विधेयक को कार्मिक और विधि विभाग की समीक्षा और अनुमति लेने के बाद लाया गया है. प्रवर समिति में भेजने की कोई औचित्य नहीं है.

अजीज प्रेमजी विश्वविद्यालय विधेयक पर संशोधन लाते हुए कहा कि आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को अनुमति देने से पहले यह जांच कर लेना जरूरी है कि वह अहर्ता को पूरा करता है या नहीं. झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक पर विधायक विनोद सिंह व लंबोदर महतो ने सवाल खड़ा करते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया.

लंबोदर महतो ने बिहार की तर्ज पर पूर्ण शराबबंदी की मांग की. कहा कि शराब दुकानों में काम करनेवाले कर्मियों को तीन माह से मानदेय नहीं मिला है. इसके जवाब प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि अवैध मदिरा के बढ़ते दुरूपयोग व राजस्व संवर्द्धन को लेकर संशोधन विधेयक लाया गया है.

इन स्थानों पर शराब पीते पकड़े गये, तो जुर्माना

शराब पीनेवाले अधिकृत स्थान (बीयर बार आदि) के अलावा सार्वजनिक स्थानों जैसे शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, स्नान घाट, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और आम रास्ता पर मदिरापान करते हुए पाये जाने पर पहली बार एक हजार, दूसरी बार पांच हजार और तीसरी बार पकड़े जाने पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना देना होगा. तीन माह के कारावास का भी प्रावधान है.

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