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Jharkhand : सरकार पर किसानों का धान बिक्री का 500 करोड़ रुपये बकाया

राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में किसानों से धान क्रय में कीर्तिमान स्थापित किया है, लेकिन अब भी राज्य सरकार पर किसानों का लगभग 500 करोड़ रुपये बकाया है.

Jharkhand News : राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में किसानों से धान क्रय में कीर्तिमान स्थापित किया है, लेकिन अब भी राज्य सरकार पर किसानों का लगभग 500 करोड़ रुपये बकाया है. इधर, झारखंड में अगले एक-दो दिनों में मॉनसून पहुंच रहा है. ऐसे में किसान चिंतित हैं. बीज खरीद व धनरोपनी को लेकर उनकी चिंता बढ़ गयी है. बकाया राशि नहीं मिलने से खरीफ की खेती प्रभावित हो सकती है.

50 फीसदी किसानों को दूसरी किस्त व बोनस का भुगतान नहीं

सरकार ने किसानों से 75.34 लाख क्विंटल धान की खरीद की है, जो पिछले साल की तुलना में 15.34 लाख क्विंटल अधिक है. सरकार की ओर से 1,39,359 किसानों से धान का क्रय किया गया है. इनमें लगभग 99 प्रतिशत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रुपये की 50 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया गया है. लेकिन अब भी लगभग 50 प्रतिशत किसानों को दूसरी किस्त व बोनस की राशि का भुगतान नहीं हो पाया है. सरकार की ओर से धान क्रय के एवज में अब तक किसानों को 1047.22 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि सरकार की देनदारी 1544 करोड़ रुपये है. राज्य सरकार ने किसानों से धान क्रय के रूप में राशि भुगतान करने को लेकर 1552 करोड़ रुपये बैंक से कर्ज लिया था. इसमें 776 करोड़ की पहली किस्त की राशि से किसानों को भुगतान किया गया है. दूसरी किस्त की 776 करोड़ की राशि रिलीज करने का मामला अभी विभागीय स्तर पर विचाराधीन है. फिलहाल किसानों के बकाये राशि का भुगतान मिल में चावल कुटाई के बाद मिले सीएमआर की राशि से किया जा रहा है.

भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाने का है निर्देश

झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक यतींद्र प्रसाद ने कहा कि किसानों की बकाया राशि का भुगतान जारी है. भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाने को लेकर जिला प्रबंधक के साथ बैठक कर उन्हें निर्देश दिया गया है. उन्हें कहा गया है कि मिल में जितना धान गया है, उसके समानुपातिक राशि का भुगतान एक सप्ताह में कराया जाये. ऐसा होने पर एक सप्ताह में लगभग 70 प्रतिशत किसानों की बकाया राशि का भुगतान हो जायेगा. उन्होंने बताया कि किसानों को दूसरे किस्त की राशि का भुगतान तब किया जाता है, जब मिल में धान चला जाता है. मिल में धान जाने की रफ्तार कम है. मिल में चावल कुटाई के बाद सीएमआर बन जाने के बाद ही नया धान दिया जाता है. मिल को किसानों से खरीदे गये 65 प्रतिशत धान भेजे गये हैं.

बीज खरीद और धनरोपनी को लेकर किसानों की बढ़ी चिंता

पांच महीने के बाद भी धान क्रय का भुगतान नहीं किये जाने से गढ़वा जिले के अधिकांश किसानों की चिंता बढ़ गयी है. रमकंडा के किसान बसंत प्रसाद ने बताया कि उन्होंने धान क्रय केंद्र खुलने के समय दिसंबर 2021 में ही पैक्स में 39 क्विंटल धान की बिक्री की है, लेकिन उन्हें अब तक लागत मूल्य से भी कम भुगतान किया गया है. अब भी पूंजी और उपज से होनेवाले फायदा का इंतजार कर रहे हैं. पिछले वर्ष खेती के लिए बीज से लेकर उर्वरक तक की खरीदारी की गयी थी. अब भी दुकानों की देनदारी है. मॉनसून आनेवाला है. अगर राशि समय पर नहीं मिल पायी, तो खरीफ की खेती प्रभावित होगी.

रिपोर्ट : सतीश कुमार

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