Jharkhand: सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव और फूलों-झानों के वंशजों ने सुनी प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’

अंग्रेजों की दमनकारी नीति और महाजनी प्रथा के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वालों में सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, फूलों-झानों के नाम सबसे आगे हैं. साहिबगंज जिले के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के पंचकटिया और भोगनाडीह गांव के ऐसे ही वीर सपूतों के वंशजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' सुनी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2022 12:52 PM

Jharkhand News: अंग्रेजों की दमनकारी नीति और महाजनी प्रथा के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वालों में सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, फूलों-झानों के नाम सबसे आगे हैं. साहिबगंज जिले के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के पंचकटिया और भोगनाडीह गांव के ऐसे ही वीर सपूतों के वंशजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ सुनी. मौके पर दुमका सांसद सुनील सोरेन, राजमहल विधायक अनंत ओझा और ताला मरांडी समेत कई नेता मौजूद थे.

चौथी, पांचवीं और छठी पीढ़ी के सदस्य थे मौजूद

दमनकारियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले वीर सपूतों के अभी चौथी, पांचवी और छठी पीढ़ी के सदस्य मौजूद हैं. आज शहीद के कुल 17 परिवार के 87 सदस्य हैं. इनमें अर्चना सोरेन, भादू मुर्मू, साहिब राम मुर्म, मीना हेंब्रम, अंजुल सोरेन और भगवत मुर्मू समेत छह सदस्यों को सरकारी नौकरी मिली है. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सभी परिवारों का मकान बनाया गया है.

अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं परिजन

सिद्धू कान्हू के छठी पीढ़ी के वंशज मंडल मुर्मू ने बताया कि हमें शहीद के वंशज होने पर हमेशा गर्व है. हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं. पर 87 सदस्य परिवार में केवल 6 लोगों को ही नौकरी है. शहीद परिवार होने के नाते हमारे बच्चों को शिक्षा के लिए सरकारी विद्यालयों में तो नामांकन हो जाता है पर बड़े निजी स्कूलों में हमारे लिए कोई व्यवस्था नहीं है. स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सभी का आयुष्मान कार्ड बना है पर बड़े और निजी अस्पतालों में इससे इलाज के लिए उचित व्यवस्था पर जोर दिया जाना चाहिए. सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत शहीद के परिवारों के सभी सदस्यों को आच्छादित किया गया है. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सभी सुसंगत योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.

Next Article

Exit mobile version