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झारखंड और केन्द्र सरकार में हो रही है तकरार, जानिये क्यों ?

झारखंड से निकलने वाली खनिज संपदा के एवज में वर्षो से नहीं हुआ है लगान का भुगतान

रांची : केंद्र सरकार ने कोविड-19 के मद्देनजर डीवीसी के बकाया भुगतान के मामले में राज्य सरकार को राहत नहीं दी. इसे लेकर अब केंद्र और राज्य के बीच तकरार बढ़ रही है. राज्य सरकार भी अपनी बकाया राशि के भुगतान का दावा कर रही है. केंद्र ने अपनी राशि तो काट ली, लेकिन कोविड-19 के नाम पर राज्य सरकार के बकाये का भुगतान नहीं कर रही है. राज्य का केंद्र पर कुल 74,582 करोड़ रुपये बकाया है. त्रिपक्षीय समझौते का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने राज्य के खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काट कर डीवीसी के खाते में हस्तांतरित कर दिये हैं. केंद्र के इस कदम से राज्य की आर्थिक परेशानियां बढ़ गयी हैं.

दूसरी तरफ राज्य की इतनी बड़ी बकाया रकम का भुगतान कौन करेगा, इसका जवाब केंद्र नहीं दे रहा है. बकाये की बात करें, तो राज्य का केंद्र पर सिर्फ जीएसटी मुआवजा के मद में 2982 करोड़ रुपये बकाया है, जो डीवीसी को दी गयी किस्त का दोगुना है. खान विभाग का विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों पर 38600 करोड़ रुपये बकाया है, जो एक बड़ी राशि है. दूसरी ओर आज तक इसके भुगतान की दिशा में न तो केंद्र सरकार ने कोई कदम उठाया है और न ही उन कंपनियों ने, जिन पर ये बकाया है. वहीं, विभिन्न कोल कंपनियों द्वारा अधिग्रहित की गयी भूमि के लगान के रूप में 33 हजार करोड़ रुपये बकाया है. इसमें पिछले दिनों केवल 250 करोड़ रुपये कोल इंडिया की तरफ से दिये गये थे.

पूर्ववर्ती सरकार के त्रिपक्षीय समझौता की वजह से राशि कटी : 27 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार, केंद्र सरकार और डीवीसी के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था. समझौते के अनुसार यदि वितरण कंपनी बकाये का भुगतान नहीं करती है, तो राज्य सरकार राशि के भुगतान करने के लिए बाध्य होगी. बिल भेजने के 90 दिनों के अंदर यदि बिल का भुगतान नहीं किया जाता है, तो केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के खाते से सूद समेत राशि की वसूली की जायेगी. यही वह समझौता है, जिसकी वजह से इतनी बड़ी रकम राज्य के खाते से काट ली गयी. इसे विवाद की जड़ माना जा रहा है. केंद्र ने पहली किस्त के रूप में 1417 करोड़ काटे हैं, अभी तीन और किस्त इतनी ही रकम का काटा जाना बाकी है.

राज्य के अनुसार डीवीसी का बकाया \”3558 करोड़ ही : राज्य सरकार के अनुसार डीवीसी का बकाया 3558 करोड़ रुपये ही बकाया है. इस बाबत सितंबर में ही ऊर्जा सचिव अविनाश कुमार ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव को पत्र भेजकर कोविड-19 से पैदा हुई परेशानियों के मद्देनजर राहत देने की मांग की थी. साथ ही डीवीसी द्वारा बताये गये कुल 5608.36 करोड़ रुपये के बकाये पर असहमति जतायी थी. कहा गया था कि डीवीसी और जेबीवीएनएल के बीच विवादित 1152.34 करोड़ बकाये की राशि को छोड़ दिया जाये, तो डीवीसी का राज्य सरकार पर 3919.04 करोड़ रुपये बकाया है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमएमडीआर एक्ट के तहत दिये गये आदेश के आलोक में बेरमो माइंस से खनन के सिलसिले में डीवीसी पर राज्य का बकाया 360.36 करोड़ रुपये है. इसे डीवीसी के बकाये से एडजस्ट करने पर राज्य पर डीवीसी का कुल बकाया 3558.68 करोड़ रुपये ही होता है. ऊर्जा सचिव की ओर से भेजे गये पत्र में कोविड-19 के दौरान केंद्र सरकार के आदेश में उद्योगों को बंद करने की वजह से जेवीबीएनएल के सामने पैदा हुई आर्थिक परेशानियों का हवाला दिया गया था. केंद्र से पुनर्विचार का आग्रह किया गया था. लिखा गया था कि राज्य सरकार कोविड-19 के कारण पहले से ही आर्थिक परेशानियों का सामना कर रही है. ऐसी स्थिति में डीवीसी के किस्त एडजस्टमेंट राज्य सरकार की आर्थिक परेशानियों को बढ़ायेगी.

अन्य राज्यों पर भी बकाया, पर नहीं काटी राशि : केंद्र सरकार का बिजली व अन्य मद में तमिलनाडु, तेलंगना, कश्मीर, कर्नाटक व आंध्रप्रदेश पर 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, लेकिन इन राज्यों की राशि कटौती नहीं की गयी. हालांकि झारखंड से पहले आंध्र प्रदेश के खाते से भी इसी तरह की राशि पूर्व में काटी जा चुकी है. झारखंड में यह दूसरा मामला है.

  • सितंबर में ही ऊर्जा सचिव ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव को भेजा था पत्र, राहत देने की मांग की थी

  • पहले से है 85 हजार करोड़ ऋण का बोझ सालाना सूद पर ही 5645 करोड़ देने होते हैं

राज्य की आर्थिक स्थिति पर कोविड का बुरा प्रभाव पड़ा है. पहले से ही राज्य पर 85 हजार करोड़ का कर्ज है. जिस पर सालाना केवल सूद के तौर पर 5645 करोड़ रुपये चुकाये जाते हैं. कोविड में राजस्व कम हुआ है, जिस कारण सरकार ने दिसंबर तक बजट का सिर्फ 25 प्रतिशत ही राशि खर्च करने का आदेश दिया है. महालेखाकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच महीने सरकार की कुल अामदनी 19416.24 करोड़ थी. यानी हर माह औसतन आमदनी 3883.24 करोड़ है.

सरकार को विभिन्न राजस्व से प्रतिदिन औसतन 129.44 करोड़ रुपये पिछले पांच माह में मिले हैं. इस महीने की 15 तारीख तक सरकार के खाते में 1941.62 करोड़ रुपये थे. इसमें केंद्र ने 1417 करोड़ रुपये काट लिये, तो सरकार के खाते में 524.12 करोड़ रुपये ही बचे होने का अनुमान है. इतनी कम राशि से विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, जबकि, कर्मचारियों के वेतन व पेंशन मद में भी हर माह 1500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. ऐसी स्थिति में कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है.

डीवीसी द्वारा बताये गये कुल “5608.36 करोड़ के बकाये पर राज्य ने असहमति भी जतायी थी

  • केंद्र पर इन मदों में बकाया का दावा कर रही सरकार

  • ‍2982 करोड़ रुपये जीएसटी कंपनसेशन मद में बकाया

  • 38600 करोड़ रुपये कोल इंडिया और सेल पर खान विभाग का बकाया

  • 33000 करोड़ रुपये कोल कंपनियों पर लगान का बकाया

Posated by : Pritish Sahay

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