10 और 11 जून को झारखंड बंद, नियोजन नीति का विरोध कर रहे छात्रों ने किया आह्वान

झारखंड में नई नियोजन नीति का विरोध लगातार चल रहा है. ट्विटर अभियान से शुरू हुए इस विरोध ने विधानसभा घेराव, मुख्यमंत्री आवास घेराव, पुतला दहन सहित कई कई माध्यमों ने अपना विरोध दर्ज किया. अब झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन ने आगामी 10 और 11 जून को झारखंड बंद का आह्वान किया है.

By Aditya kumar | June 8, 2023 9:19 AM

झारखंड बंद : झारखंड में नई नियोजन नीति का विरोध लगातार चल रहा है. ट्विटर अभियान से शुरू हुए इस विरोध ने विधानसभा घेराव, मुख्यमंत्री आवास घेराव, पुतला दहन सहित कई कई माध्यमों ने अपना विरोध दर्ज किया. इस दौरान कई बार उग्र प्रदर्शन भी छात्रों के द्वारा किया गया है. अब छात्र फिर से एक बार उग्र रूप अपनाने के फिराक में है. बता दें कि झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन के छात्रों ने आगामी 10 और 11 जून को झारखंड बंद का आह्वान किया है.

मांदर-नगाड़ा बजाकर सखुआ पत्ता लेकर घूम रहे छात्र

बता दें कि झारखंड बंद को लेकर नियोजन नीति का विरोध कर रहे छात्र योजना बना रहे है और लोगों से आह्वान कर रहे है कि इस बंदी को सफल बनाया जाए. उम्मीदन बंद के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिक पुलिस बल की तैनाती की जा सकती है. संगठन ने इसके लिए कई जिलों में प्रचार करने शुरू भी कर दिए है. इससे पहले छात्रों का समूह राज्य के सभी नेताओं और सांसदों से मिला और नियोजन नीति के विरोध में अपना समर्थन मांगा. इस मुहिम के तहत उन्हें अधिकतर जनप्रतिनिधियों का समर्थन मिला भी है. समर्थन लेने के बाद ये छात्र अपनी मांग को लेकर मांदर ढाक नगाड़ा बजाकर सखुआ पत्ता लेकर घूम रहे है.

विधानसभा से नहीं हो रहा है पारित

आपको बता दें कि फिलहाल जिस नियोजन नीति का पुरजोर तरीके से विरोध हो रहा है, उसके प्रस्ताव पर केवल कैबिनेट में ही मुहर लगी है. अभी यह न तो विधानसभा से पारित हुई है और न ही इसका गजट पत्र बना है. लेकिन छात्रों के बीच इस 60-40 आधारित नीति को लेकर विरोध जोरदार है.

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जानिए क्यों हो रहा है विरोध?

जानकारी हो कि पिछली सरकार से पहले नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. लेकिन, इसमें EWS के तहत सवर्णों का आरक्षण जुड़ जाने के बाद यह 60 प्रतिशत हो गया. ऐसे में 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी, वहीं 40 प्रतिशत सीटें ‘ओपन टू ऑल’ है. इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है, बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं.

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