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बिना डॉक्टर डायलिसिस के दौरान जामताड़ा में हुई मौत की एसडीएम ने की जांच

सदर अस्पताल जामताड़ा स्थित पीपीपी मोड पर एस्कैग संजीवनी की ओर से संचालित डायलिसिस सेंटर की गुरुवार को एसडीएम संजय कुमार पोडेय ने जांच की. जांच के दौरान डायलिसिस सेंटर में कई अनियमितता पायी गयी. न तो सही तरीके से रजिस्टर मेंटेन किया जा रहा था, न ही बिलिंग का तरीका सही दिखा.

जामताड़ा (अजित कुमार) : सदर अस्पताल जामताड़ा स्थित पीपीपी मोड पर एस्कैग संजीवनी की ओर से संचालित डायलिसिस सेंटर की गुरुवार को एसडीएम संजय कुमार पोडेय ने जांच की. जांच के दौरान डायलिसिस सेंटर में कई अनियमितता पायी गयी. न तो सही तरीके से रजिस्टर मेंटेन किया जा रहा था, न ही बिलिंग का तरीका सही दिखा. डायलिसिस सेंटर के कर्मियों की कार्यशैली भी सहयोगात्मक नहीं थी. जांच रिपोर्ट, रजिस्टर आदि दिखाने में कर्मी आनाकानी कर रहे थे. जिस फ्रिज में दवा रखी जानी चाहिए थी, उसमें चूड़ा, सेवई और अन्य खाद्य सामग्री मिली.

जांच के क्रम में एसडीएम संजय पांडेय ने सेंटर में तैनात कर्मी से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पूछताछ की. इस क्रम में एसडीओ ने कई पंजी जब्त किये. 30 जून, 2020 को डायलिसिस सेंटर में डायलिसिस शुरू किये जाने के दौरान एक मरीज की हुई मौत के मामले की जांच की जा रही है. मृतक की पुत्री ने डीसीओ को आवेदन देकर डायलिसिस सेंटर के संचालकों पर बगैर डॉक्टर के डायलिसिस करने और लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगायी थी. उक्त मामले में जांच की जिम्मेवारी एसडीएम जामताड़ा को दी गयी थी.

ज्ञात हो कि 30 जून, 2020 को डायलिसिस सेंटर में डायलिसिस करा रहे दुमका के रतन साधु की मौत हो गयी थी. इसके बाद रतन साधु की बेटी वृष्टि साधु ने डायलिसिस कर रहे टेक्निशयन पर लापरवाही का आरोप लगाया था. आरोप में यह कहा था कि डायलिसिस करने के दौरान चिकित्सक वहां मौजूद नहीं थे. परिजन ने डीसी से इसकी शिकायत की थी. डीसी ने सीएस व उक्त संस्था के प्रबंधक को शोकॉज भी किया था. इसके बाद प्रशासनिक जांच की कार्रवाई प्रारंभ की गयी.

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गुरुवार (8 अक्टूबर, 2020) को जांच के बाद एसडीएम ने सेंटर को बंद करा दिया है. जांच के दौरान यह भी पाया गया कि जिस फ्रिज में दवा रखा जाना है, उसमें दवा नहीं के बराबर थी. सेंटर के कर्मियों के नास्ते के लिए चूड़ा, सेवई व अन्य खाद्य सामग्री उस फ्रिज में रखा जाता है. इस पर एसडीएम ने सख्त नाराजगी जतायी. जांच के दौरान मात्र दो टेक्निशियन वहां तैनात थे. पूछताछ के क्रम में टेक्नीशियन दिवाकर कुमार व विश्वजीत मंडल यह भी नहीं बता पाये कि उन्होंने कहां से पढ़ाई की है.

टेक्निशियनों में मांगा लिखित बयान, दवा दुकानदार को नोटिस

जांच के दौरान दोनों टेक्नीशियनों ने एसडीओ के समक्ष स्वीकार किया कि बिना चिकित्सक के ही सेंटर में डायलिसिस किया जाता है. एसडीओ ने दोनों टेक्नीशियन को लिखित में जवाब देने के लिए कहा है. वहीं, मृतक रतन साधु की डायलिसिस के दिन दवा-सूई की जिस रितेश मेडिकल से खरीदारी की गयी थी, उसके मालिक को नोटिस देने का निर्देश प्रधान लिपिक को दिया. इस दौरान एसडीएम पांडेय ने सेंटर के अंदर कंप्यूटर को खंगाला. जो वह देखना चाहते थे, वह कंप्यूटर में नहीं मिला.

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बता दें कि 2 अक्टूबर से डायलिसि सेंटर का संचालन पुन: बिना डॉक्टर के टेक्नीशियन द्वारा किया जा रहा था. बुधवार को डीएस के पत्राचार के बाद इसे बंद करा दिया गया. 2-7 अक्टूबर के बीच सेंटर में 17 लोगों की डायलिसिस की गयी, बिना डॉक्टर की निगरानी के.

Posted By : Mithilesh Jha

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