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केबुल, टीआरएफ और टायो का मामला फंसा

जमशेदपुर : केंद्र सरकार द्वारा बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फायनांसियल रिकंस्ट्रक्शन (बायफर) को बंद कर उसकी जगह सिक इंडस्ट्रियल कंपनी एक्ट (सिका) को प्रभावी करने से शहर और आसपास की तीन कंपनियों ( केबुल, टीआरएफ और टायो) के भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गयी है. खासकर केबुल कंपनी जिसकी बायफर में सुनवाई अंतिम चरण […]

जमशेदपुर : केंद्र सरकार द्वारा बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फायनांसियल रिकंस्ट्रक्शन (बायफर) को बंद कर उसकी जगह सिक इंडस्ट्रियल कंपनी एक्ट (सिका) को प्रभावी करने से शहर और आसपास की तीन कंपनियों ( केबुल, टीआरएफ और टायो) के भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गयी है. खासकर केबुल कंपनी जिसकी बायफर में सुनवाई अंतिम चरण में थी और उसके खुलने की पूरी संभावना बन रही थी, उसका मामला लटक गया है.
बायफर के मामले सिका के न्यायाधिकरण में स्थानांतरित होंगे :केंद्र सरकार की घोषणा के बाद बायफर को दिसंबर 2016 से अप्रभावी कर दिया गया है. अब बायफर के सारे केस सिका के तहत गठित होने वाले न्यायाधिकरण में स्थानांतरित हो जायेंगे. इस फैसले से केबुल कंपनी के अलावा टाटा रोल्स का मामला भी लटक गया है. टायो रोल्स बंद करने के बाद टाटा स्टील ने उसके पुनरुद्धार का मामला बायफर में भेज दिया है, जिसकी सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है.

इसकी केस संख्या 48/2016 है. टाटा स्टील ने टाटा रोबिन फ्रेजर (टीआरएफ) को भी चलाते हुए इसके पुनरुद्धार के लिए बायफर में भेजा है, जिसका केस नंबर 10/2016 है. इन कंपनियों की सुनवाई अब सिका के प्रावधान के तहत गठित होने वाले ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) में होगी. चार माह बीतने के बाद भी अब तक केंद्र सरकार ने इसको लेकर प्रक्रिया पूर्ण नहीं की है. टायो और केबुल कंपनी बंद हो चुकी है. टीआरएफ कंपनी तो चल रही है, लेकिन उसके पुनरुद्धार का पैकेज टाटा स्टील ने ही दिया है, ऐसे में इसके रिवाइवल में भी दिक्कतें आ रही हैं.

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