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तीन दिन तक एसएमएस नहीं भेजा तो हटायी जायेगी सेविका
एसएमएस के जरिये सेविका को बच्चों की उपस्थिति बतानी होती है अधिकारी को रिपोर्ट नहीं देने पर उस दिन की पोषाहार राशि काट ली जायेगी जमशेदपुर : आंगनबाड़ी सेविका एसएमएस कर यदि बच्चों की उपस्थिति की रिपोर्ट नहीं भेजेगी, तो उस दिन का पोषाहार की राशि काट ली जायेगी. वहीं यदि कोई सेविका लगातार तीन […]
एसएमएस के जरिये सेविका को बच्चों की उपस्थिति बतानी होती है अधिकारी को
रिपोर्ट नहीं देने पर उस दिन की पोषाहार राशि काट ली जायेगी
जमशेदपुर : आंगनबाड़ी सेविका एसएमएस कर यदि बच्चों की उपस्थिति की रिपोर्ट नहीं भेजेगी, तो उस दिन का पोषाहार की राशि काट ली जायेगी. वहीं यदि कोई सेविका लगातार तीन दिनों तक एसएमएस से उपस्थिति रिपोर्ट नहीं भेजेगी, तो उसे चयन मुक्त कर दिया जायेगा.
यह निर्देश मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने दिया है. मुख्य सचिव एवं समाज कल्याण विभाग के सचिव एमएस भाटिया ने सोमवार को वीडियो काॅन्फ्रेसिंग कर समाज कल्याण विभाग के कार्यों की समीक्षा की. वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी रंजना मिश्रा मौजूद थीं. आंगनबाड़ी सेविकाअों को मोबाइल से एसएमएस कर प्रत्येक दिन बच्चों की उपस्थिति संख्या बतानी होती है, जिसे विभाग के एप में जोड़ा जाता है. जिसके बाद संबंधित क्षेत्र की आंगनबाड़ी सुपरवाइजर द्वारा बच्चों की उपस्थिति की जांच की जाती है अौर फोटो एप पर अपलोड किया जाता है. सेविकाअों से एसएमएस के माध्यम से रोजाना उपस्थिति रिपोर्ट नहीं भेजने को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव ने यह निर्देश दिया है.
कुछ जिलों के पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि सेविकाअों द्वारा एसएमएस भेजा जाता है, लेकिन वह विभाग को नहीं मिल पाता है, जिस पर मुख्य सचिव ने कहा कि कोशिश किये जाने पर कार्रवाई नहीं होगी. मुख्य सचिव ने इसके लिए सभी सीडीपीअो व सुपरवाइजरों को बैठक कर सेविकाओं को 1 दिसंबर से लागू होने वाले इस आदेश से अवगत करा देने को कहा है.
साथ ही 5 साल तक के बच्चों के आधार इनरॉलमेंट को फिर से मिशन के तरह करने का निर्देश दिया. जिले के अब तक 2.17 लाख बच्चों में से 2.14 लाख बच्चों का आधार इनरॉल किया जा चुका है. मुख्य सचिव ने सुपरवाइजर व एजेंसी का रोस्टर तैयार कर बच्चों का आधार इनरॉल करने तथा इसमें पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का सहयोग लेने का भी निर्देश दिया है. शहरी क्षेत्र की सुपरवाइजरों को प्ले स्कूल की भी पड़ताल करने व अगर पांच साल तक के बच्चों का आधार इनरॉल नहीं हुआ तो इनरॉल करने का निर्देश दिया है.
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