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फाैजियों की भावनाओं से न खेलें आंदोलनकारी

जमशेदपुर : आेआरआेपी (वन रैंक वन पेंशन) के मामले में सूबेदार रामकिशन ग्रेवाल द्वारा जहर खाकर आत्महत्या किये जाने के मामले से पूर्व सैनिक सेवा परिषद से जुड़े फाैजी आहत हैं. परिषद के लाेगाें ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान किसी व्यक्ति के हाथ में नहीं हाेता है. भारत का अपना संविधान है, […]

जमशेदपुर : आेआरआेपी (वन रैंक वन पेंशन) के मामले में सूबेदार रामकिशन ग्रेवाल द्वारा जहर खाकर आत्महत्या किये जाने के मामले से पूर्व सैनिक सेवा परिषद से जुड़े फाैजी आहत हैं. परिषद के लाेगाें ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान किसी व्यक्ति के हाथ में नहीं हाेता है. भारत का अपना संविधान है, सिस्टम है.
फाैजियाें के आंदाेलन का नेतृत्व करनेवालाें काे इस बात का एहसास हाेना चाहिए कि वे राजनीतिक प्लेटफार्म पर नहीं है. पहली बार फाैजियाें की मांगाें पर आेआरआेपी का गठन किया गया. इसकी पहली किस्त भी खाते में आ गयी है. यह बात सही है कि फाैजी दिल से साेचते हैं आैर इसका फायदा उठाकर काेई यदि उन्हें आत्म हत्या के प्रेरित करेगा ताे यह उचित नहीं है. सेना के विभिन्न माेरचाें पर रहनेवाले फाैजी अंदर से इतने मजबूत हाेते हैं कि वे किसी भी विषम परिस्थिति में खुद काे एडजस्ट कर लेंगे, लेकिन आत्महत्या के बारे में किसी भी सूरत में नहीं साेच सकते हैं.

सरकार द्वारा घाेषित आेआरआेपी में कुछ मामलाें में पेंच थे, जिसके बाद उन्हें पैनल में भेजा गया. सरकार ने सातवें पे कमीशन के साथ इसे लागू करने की याेजना भी तैयार कर रखी है. कराेड़ाें रुपये इसमें फाैजियाें के सेवार्थ प्रदान किये जाने की याेजना है. परिषद के सदस्याें ने कहा किसी भी संगठन-संस्थान में अधिकारी-कर्मचारी का वेतन भिन्न हाेता है, इसके साथ-साथ हमें इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि काे हमनें साेच लिया आैर वही तुरंत लागू हाे जाये, यह भी संभव नहीं है.

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