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फंड के अभाव में लटक गया वोकेशनल भवन का निर्माण

जमशेदपुर: करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में करीब सात-आठ वर्ष में भी वोकेशन भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका. इसकी वजह फंड की कमी है. एचआरडी की ओर से कॉलेज में वोकेशनल भवन के लिए 76 लाख रुपये के प्राक्कलन को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गयी थी. इस राशि से निर्माण कार्य आरंभ कराया […]

जमशेदपुर: करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में करीब सात-आठ वर्ष में भी वोकेशन भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका. इसकी वजह फंड की कमी है. एचआरडी की ओर से कॉलेज में वोकेशनल भवन के लिए 76 लाख रुपये के प्राक्कलन को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गयी थी. इस राशि से निर्माण कार्य आरंभ कराया गया, जो शेष 20 लाख रुपये के अभाव में पूरा नहीं हो सका.
इस कारण संवेदक ने भवन कॉलेज को हैंडओवर भी नहीं किया है. अब कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य प्रो ओपी खंडेलवाल ने निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए वरीय शिक्षक डॉ आरके चौधरी को अधिकृत करते हुए पिछले दिनों एचआरडी भेजा था, जहां स्थानीय विधायक मेनका सरदार के सहयोग से डॉ चौधरी पहुंचे और शिक्षा मंत्री से मिल कर वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए शेष निर्माण कार्य पूरा कराने के लिए 20 लाख एक हजार 600 रुपये एचआरडी से आवंटित कराने का आग्रह किया है. डॉ चौधरी ने बताया कि इस दिशा में एडआरडी में कार्रवाई आरंभ हो गयी है. दिसंबर तक राशि विमुक्त होने की संभावना है.
क्या है मामला
कॉलेज में वर्ष 2006-07 में तत्कालीन प्राचार्य प्रो एसएलएन दास के कार्यकाल में वोकेशन कोर्स की पढ़ाई शुरू हुई थी. फिर वोकेशनल भवन के लिए कॉलेज द्वारा 96 लाख एक हजार 600 रुपये का प्राक्कलन तैयार किया गया, जिस पर एचआरडी ने 76 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की. प्राक्कलन को स्वीकृति मिलने से लेकर निविदा आदि में करीब दो वर्ष का समय लग गया. इसके बाद निवर्तमान प्रभारी प्राचार्य प्रो सुसारी हेंब्रम के कार्यकाल में आठ जून 2009 में वर्क ऑर्डर दिये जाने के बाद संवेदक ने भवन निर्माण कार्य आरंभ किया. कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार 76 लाख रुपये के अतिरिक्त करीब सात लाख रुपये का काम करने के बाद संवेदक भवन में ताला लगा दिया. उसके बाद से कार्य बाधित है.
कॉलेज को खर्च करनी थी शेष राशि
76 लाख के अलावा कॉलेज को आंतरिक वोकेशनल फंड से शेष राशि खर्च करनी थी, लेकिन वोकेशनल विभाग में छात्र-छात्राओं की कमी होने के कारण फंड की कमी हो गयी. शिक्षकों को किसी तरह मानदेय का भुगतान किया गया. भवन निर्माण के लिए राशि नहीं निकल सकी. भवन हैंडओवर भी नहीं हो सका. तब तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य प्रो एके वर्मा के प्रयास से इस भ‌वन के दो कमरे खुलवाये गये, लेकिन भवन का निर्माण कार्य अधूरा है व यह हैंडओवर नहीं हो सका है. मौजूदा प्रभारी प्राचार्य प्रो ओपी खंडेलवाल द्वारा इस कार्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है.

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