जमशेदपुर: मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग को लेकर जिले के सभी सरकारी व निजी चिकित्सक हड़ताल पर रहे. डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार का असर सरकारी अस्पतालों पर अधिक पड़ा. तीन दिवसीय हड़ताल का यह आखिरी दिन था.
एमजीएम व सदर अस्पताल के अलावा स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों का इलाज नहीं हो सका. हालांकि इमरजेंसी सेवा चालू रहने के कारण मरीजों को कुछ राहत मिली. तेज बुखार और हड्डी तोड़ बदन दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे मरीज तड़पते देखे गये. ओपीडी में इलाज कराने के लिए मरीज तो पहुंचे, लेकिन उन्हें अंदर तक जाने नहीं दिया गया.
निजी अस्पतालों पर खास असर नहीं. सभी निजी बड़े अस्पतालों में मरीजों का आम दिनों की तरह इलाज हुआ. टीएमएच, टाटा मोटर्स, टिनप्लेट, तार कंपनी व ब्रह्मानंद अस्पताल के अलावा मेडिट्रिना, मेडिका में भी हड़ताल का कोई खास असर नहीं दिखा. चिकित्सक ड्यूटी पर आये और मरीजों को देखा. कुछ नर्सिंग होम में डॉक्टर के नहीं आने के कारण इसका प्रभाव जरूर देखा गया.
ग्रामीण इलाके के मरीज परेशान
डॉक्टरों की हड़ताल से सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण इलाके से आये मरीजों को हुई. ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्र में तो डॉक्टर नहीं गये अलबत्ता इलाज कराने शहर आये मरीजों को यहां भी डॉक्टर नहीं मिले.
हड़ताल सफल : आइएमए
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ मृत्युंजय सिंह ने बताया कि हड़ताल पूरी तरह सफल रहा है. इसको लेकर हमारी जो रिपोर्ट है, उसके मुताबिक, सारे निजी व सरकारी अस्पताल व नर्सिंग होम में किसी तरह का कोई इलाज नहीं हो पाया है. सरकार इसको फ्लॉप बताने की कोशिश कर रही है, लेकिन हड़ताल असरदार है. हम मांग को लेकर किसी भी हद तक जा सकते है.
हड़ताल का आंकड़ा
इकाई राज्य में पूर्वी सिंहभूम में
कुल डॉक्टर करीब 35,000 करीब 1200
कुल अस्पताल करीब 350 करीब 50
सदर अस्पताल 24 1
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 330 18
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 128 9
उप स्वास्थ्य केंद्र करीब 4000 244