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गड़बड़झाला: बैंक कर्मचारियों की मिली-भगत से चल रहा है कारोबार, गरीबों के नाम से निकाले लाखों के लोन

जमशेदपुर : गरीबों को दिये जाने वाले जेनरल क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) के माध्यम से फरजी तरीके से लोन की निकासी कर ली गयी. ऐसे 20 गरीबों के एकाउंट और पहचान पत्र का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की राशि की निकासी कर ली गयी है. मामले के सामने आने के बाद इसके उच्चस्तरीय […]

जमशेदपुर : गरीबों को दिये जाने वाले जेनरल क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) के माध्यम से फरजी तरीके से लोन की निकासी कर ली गयी. ऐसे 20 गरीबों के एकाउंट और पहचान पत्र का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की राशि की निकासी कर ली गयी है. मामले के सामने आने के बाद इसके उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये गये हैं. इसमें से अधिकांश मामले बैंक ऑफ इंडिया से संबंधित है. इसके सात केस सामने आये हैं.
नोटिस मिला तो लोन लेने की जानकारी हुई. परसुडीह निवासी हरहरगुट्टू की गुरु हेंब्रम को बैंक आॅफ इंडिया से हाल ही में नोटिस मिला कि उन्होंने लोन लेने के बाद पैसे नहीं लौटाये हैं. लोन सहित ब्याज का भुगतान तत्काल करें नहीं तो कानूनी कार्रवाई की जायेगी और जेल भी भेजा जा सकता है. साथ ही नाम और फोटो के साथ अखबारों में इश्तेहार तक जारी करने की चेतावनी दी गयी. गुुरु हेंब्रम जब जानकारी लेने बैंक पहुंची तो बताया गया कि उसके दस्तावेज के नाम पर 25 हजार रुपये लोन लिये गये हैं और उसके नाम पर सेविंग एकाउंट भी खोला गया था. लोन में से चार हजार रुपये वापस किये गये बाकी किस्त देना बंद कर दिया गया. ऐसा ही उस इलाके के जमुना हेंब्रम, कारु हेम्ब्रम समेत अन्य लोगों के साथ भी हुआ है.
जांच करेंगे दो पदाधिकारी. सारे लोन इंटरव्यू के माध्यम से दिये जाते हैं, जिसमें प्रखंड कार्यालय से लेकर बैंक के अधिकारियों की भूमिका होती है. अब प्रखंड कार्यालय में इसकी शिकायत की गयी है. मामले की जांच के लिए दो पदाधिकारियों को तैनात किया गया है.
बैंक ने रिजेक्ट किया, फिर कैसे मिला लोन. इस मामले में बैंक अधिकारियों और प्रशासनिक तंत्र से जुड़े लोगों की मिलीभगत भी हो सकती है. क्योंकि जितनी भी फरजी निकासी की गयी है, उसका आवेदन अवश्य जमा हुआ था, लेकिन बैंकों ने उसको रिजेक्ट कर दिया था. लेकिन इस बीच लोन भी निकल गया और उसी दस्तावेज के आधार पर राशि की निकासी भी हुई.
सूदखोरों और बैंककर्मियों की सांठगांठ!
सरकार की ओर से गरीबों को दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ सूदखोर और बैंककर्मी आपसी मिलीभगत से उठा रहे हैं. गरीबों के नाम पर आने वाले आवेदन के माध्यम से बैंककर्मी के साथ सांठगांठ कर आवेदन को पहले मौखिक तौर पर खारिज करा देते हैं. उसके बाद उसके दस्तावेजों के नाम पर लोन की निकासी कर लेते हैं. निकासी करने के बाद उस राशि को बाजार में ज्यादा ब्याज पर देते हैं. कुछ लोग उक्त राशि को भर भी देते हैं लेकिन कई लोग उस राशि को लौटाते भी नहीं है, जिस कारण इस तरह का मामला सामने आ जाता है. वैसे जो मामले अब सामने आ रहे हैं, उसमें बिना बैंकों या सरकारी अधिकारियों के माध्यम से दस्तावेज की हेराफेरी नहीं की जा सकती है.
कई मामलों को दबाया जा रहा है
इस मामले को हमने ही उजागर कर भुक्तभोगी महिलाओं को कार्यालय तक पहुंचाया है. इस मामले में कई लोग सामने आये हैं, लेकिन इसको दबाने की कोशिश हो रही है.
देवली टुडू, भुक्तभोगियों की प्रतिनिधि
मामला सामने आया है
जो शिकायतें मिली हैं, उसकी जांच की जायेगी. इसमें सेविंग एकाउंट भी खुला है और लोन भी निकला है, लेकिन भुक्तभोगी कह रहा है कि लोन उसको मिला ही नहीं है. इसकी जांच चल रही है.
डॉली अधिकारी, एलइओ, जमशेदपुर प्रखंड
यह आंतरिक मामला है
यह बैंक का आंतरिक मामला है. इसको सार्वजनिक करने की जरूरत
नहीं है. टीके कारक, एलडीएम, जमशेदपुर

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