जमशेदपुर : टाटा समूह ने खोज पर जोर दिया है. समूह की रिपोर्ट में बताया है कि ग्रुप में अपने प्रकाशित पेटेंटों की संख्या दोगुनी कर ली है. वर्ष 2013 के आखिर में 3,500 के मुकाबले 2015 के आखिर में यह संख्या बढ़कर 7,000 हो गयी. वर्ष 2015 में ही टाटा कंपनियों ने भारत और अंतरराष्ट्रीय अधिकारिता में 2000 से अधिक प्रकाशित पेटेंटों के लिए आवेदन किया. ये पेटेंट प्राथमिक रूप से कंप्यूटेशन और डाटा प्रोसेसिंग, मैटेरियल्स, कोटिंग, कास्टिंग और व्हीकल प्रोपल्सन, कम्युनिकेशंस, इंजन और हाइब्रिड, ईंधन और कंट्रोल के क्षेत्र में हैं.
शोध एवं विकास पर जोर देने की बात को दर्शाते हुए वर्ष 2014-15 में समूह के कारोबार का 2.7 फीसदी (17,896 करोड़ रुपये) या 2.9 अरब डॉलर निवेश किया. टाटा कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ाकर प्रौद्योगिकी डिलीवर करने का एक नया कंसोर्टियम मॉडल ग्रुप टेक्नॉलॉजी एंड इनोवेशन ऑफिस (जीटीआईओ) पेश किया गया ताकि बेहतर खोज को अपनाया जा सके.
इस मॉडल के अंतर्गत एक औपचारिक समझौता पत्र के साथ एक कंसोर्टियम मॉडल में काम करने वाली टाटा कंपनियों के सामूहिक प्रयासों द्वारा नये उत्पादों और सेवाओं की डिलिवरी की जायेगी. ऊर्जा, भोजन और देखभाल, डिजिटल उपभोक्ता उत्पाद एवं सेवाएं और डिजिटल फैक्टरी और फ्लीट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में ग्लोबल फर्स्ट सॉल्यूशंस को बेहतर बनाकर जीटीआइओ ने उपरोक्त मॉडल लागू किया है.
टाटा समूह में खोज की मजबूत भावना : डॉ मुकुंद राजन
समूह के कस्टोडियन डॉ मुकुंद राजन ने कहा कि खोज (इनोवेशन) की भावना टाटा समूह में मजबूती से शामिल है. शुरूआत के वक्त से दूरदर्शी और सबसे पहले किये जाने वाले प्रयासों के लिहाज से समूह के खाते में कई उपलब्धियां दर्ज हैं. टाटा कंपनियों द्वारा आपसी सहयोग से विकसित दुनिया में पहली बार प्रयोग किये जा रहे समाधान और दो वर्षों में प्रकाशित पेटेंटों की संख्या का दोगुना होना समूह की 100 से भी ज्यादा कंपनियों में मौजूद विविधीकृत क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों में काम करने की प्रतिभा का स्पष्ट प्रमाण है. जीटीआइओ के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी विकास के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला नया कंसोर्टियम मॉडल इस बात का उदाहरण है कि समूह किस तरह इस कुशलताओं को बेहतर बनाकर, जोड़कर और भरपूर उपयोग कर प्रतिस्पर्धी लाभ और लंबी अवधि की स्थायी वृद्धि के लिए इनका इस्तेमाल कर रहा है.